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Rajasthan: घाटोल पंचायत ने ठुकराया आरटीआइ में सूचना देने का प्रस्ताव, सूचना आयुक्त ने लगाई फटकार

Rajasthan सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा ने घाटोल के विकास अधिकारी हरिकेश मीणा से जबाव तलब किया तो मीणा ने जबाव में लिखा कि पंचायत समिति की की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय किया कि सूचना नहीं दी जा सकती। जिस पर सूचना आयुक्त ने मीणा को फटकार लगाई।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 02:29 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 02:29 PM (IST)
Rajasthan: घाटोल पंचायत ने ठुकराया आरटीआइ में सूचना देने का प्रस्ताव, सूचना आयुक्त ने लगाई फटकार
राजस्थान में घाटोल पंचायत ने आरटीआइ में सूचना देने का प्रस्ताव ठुकराया।

उदयपुर, संवाद सूत्र। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार रोकने के लिए भारतीय संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 पारित किया, उसे बांसवाड़ा जिले की घाटोल पंचायत ने ठुकरा दिया। हालांकि जब इसका पता राजस्थान सूचना आयोग को लगा तो उन्होंने इस मामले में कड़ी फटकार लगाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। हुआ यूं कि घाटोल पंचायत समिति ने साधारण सभा बुलाकर सूचना के अधिकार के तहत मांगे जाने वाली किसी भी तरह की सूचना देने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। इस बैठक में बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद, जिला प्रमुख, विधायक, प्रधान के साथ उपखंड अधिकारी और विकास अधिकारी मौजूद थे। पंचायत समिति में पारित इस प्रस्ताव की आड़ में इस पंचायत समिति के अधिकारियों ने अमल भी शुरू कर दिया।

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इसका खुलासा तब हुआ, जब आरटीआई एक्टिविस्ट शरद पंड्या ने राजस्थान सूचना आयोग में इसकी शिकायत की। जिसमें शरद पंड्या ने बताया कि उसने पंचायत समिति में सूचना के अधिकार के तहत कुछ सूचनाएं मांगी थी, लेकिन वहां से मिले उत्तर से वह हैरत में आ गए थे। उन्होंने यह भी पूछा कि संसद में पारित अधिनियम पर एक पंचायत किस कानून के तहत रोक लगा सकती है। जिस पर सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा ने घाटोल के विकास अधिकारी हरिकेश मीणा से जबाव तलब किया तो मीणा ने अपने जबाव में लिखा कि पंचायत समिति की साधारण सभा की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय किया गया कि सूचना नहीं दी जा सकती। जिस पर सूचना आयुक्त ने मीणा को कड़ी फटकार लगाते हुए राज्य सरकार से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए। इसके साथ ही सूचना आयुक्त ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए कि वे पंचायती राज विभाग में परिपत्र जारी कर पंचायतीराज संस्थाओं में आरटीआई कानून की पालना सुनिश्चित करें। 

गौरतलब है कि सितंबर, 2020 में मृत व्यक्ति के नाम से गत चार वर्षों से वृद्धावस्था पेंशन की राशि लेने और उसके नाम से खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ भी लिए जाने का मामला उजागर हुआ था। मामला जोधपुर के लूनी तहसील से जुड़ा है। यहां मृतक के नाम से लेने वाली वृद्धावस्था पेंशन उसके खाते में ही जमा भी होती थी और निकली भी जाती थी। आरटीआइ से इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है, इसके बाद अब संबंधित अधिकारी सकते में हैं। क्षेत्र के आरटीआई कार्यकर्ता राजूराम विश्नोई ने मृतक हेमाराम पटेल पुत्र टिकमाराम निवासी लूणी के संबंध में आरटीआइ लगाई। इसके बाद पटवारी रिपार्ट में 24 मार्च, 2016 में हेमाराम की मौत हो जाने की बात सामने आई।


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