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Rajasthan: प्रवासी श्रमिकों को राशन व मनरेगा में रोजगार को लेकर गहलोत सरकार ने बनाई योजना

Gehlot government. अन्य राज्यों से लौटे श्रमिकों को मनरेगा में रोजगार दिया जाएगा। ऐसे लोगों के जॉब कार्ड बनाने को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 05:57 PM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 05:57 PM (IST)
Rajasthan: प्रवासी श्रमिकों को राशन व मनरेगा में रोजगार को लेकर गहलोत सरकार ने बनाई योजना
Rajasthan: प्रवासी श्रमिकों को राशन व मनरेगा में रोजगार को लेकर गहलोत सरकार ने बनाई योजना

जागरण संवाददाता, जयपुर। Gehlot government. राजस्थान सरकार अन्य राज्यों से अपने घर लौटने वाले श्रमिकों को दो माह का गेहूं निशुल्क वितरित करेगी। परिवार के प्रत्येक सदस्य को 5 किलो गेहूं प्रति माह उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही मसाले एवं अन्य सामान भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही अन्य राज्यों से लौटे श्रमिकों को मनरेगा में रोजगार दिया जाएगा। ऐसे लोगों के जॉब कार्ड बनाने को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।

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राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने गुरुवार को जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद कर जरूरतमंद श्रमिकों को मांगते ही मनरेगा में रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। प्रदेश में अब तक 35 लाख 59 हजार लोगों को मनरेगा में रोजगार दिया गया है।

प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेशचंद मीणा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण अन्य राज्यों से लौट रहे ऐसे प्रवासी मजदूर जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में चयनित नहीं है, उन्हें दो महीने (मई-जून) के लिए प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं प्रतिमाह निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसमें उन श्रमिकों को भी शामिल किया जाएगा, जो दूसरे राज्यों के हैं और लॉकडाउन में यहां फंसे हुए हैं।

मीणा ने बताया कि प्रदेश में प्रवासियों को दो महीने गेहूं का निशुल्क वितरण उचित मूल्य की दुकान से ही किया जाएगा। वर्तमान में उचित मूल्य दुकानों पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना का गेहूं एवं दाल तथा चीनी का वितरण किया जा रहा है।

प्रवासी श्रमिकों का तनाव दूर करने के लिए योग और फिल्मों का सहारा

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण दो माह से प्रवासी श्रमिक परेशान हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के सैकड़ों श्रमिकों ने अपने किराये के घर खाली कर दिए और पैदल ही अपने गांव जाने के लिए निकले हैं। राजस्थान सरकार की तरफ बसों का प्रबंध किया गया है, लेकिन श्रमिकों की संख्या के लिहाज से ये बसें कम पड़ रही है। ऐसे में इन श्रमिकों को शेल्टर होम में ठहराया गया है। शेल्टर होम में श्रमिकों को भोजन, पानी और रहने का पूरा प्रबंध किया गया है, लेकिन जयपुर जिले के कानोता शेल्टर होम में एक सुखद तस्वीर देखने को मिलती है। यहां प्रशासन द्वारा प्रवासी मजदूरों को भोजन, पानी के साथ ही दूध का प्रबंध किया गया है। प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के लिए दूध और बिस्किट उपलब्ध कराने के साथ ही उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा है।

प्रशासन इस बात का भी ध्यान रख रहा है कि घर से दूर व रोजगार के अभाव में ये प्रवासी श्रमिक मानसिक अवसाद में नही आ जाएं। श्रमिकों को मानसिक अवसाद से मुक्त रखने के लिए उन्हें उनकी पसंद की फिल्में दिखाई जा रही है। जिला कलेक्टर डॉ.जोगाराम और उपखंड अधिकारी रामकुमार वर्मा खुद श्रमिकों के साथ संवाद करते हैं। दोनों अधिकारी श्रमिकों को खुश रखने का प्रयास करते हैं। जयपुर जिले के ही अन्य शेल्टर होम में रह रहे अन्य राज्यों के श्रमिकों को योग कराया जाता है। उन्हें पीने के लिए गर्म पानी उपलब्ध कराया जाता है।

भोजपुरी फिल्मों की डिमांड ज्यादा

कानोता शेल्टर होम में अधिकतर प्रवासी मजदूर यूपी, बिहार और छत्तीसगढ़ के हैं। शेल्टर होम में इनके मनोरंजन के लिए प्रशासन ने तीन एलईडी टीवी लगवाएं हैं, जिस पर श्रमिकों की पसंद की फिलम दिखाई जाती है। शेल्टर होम में मौजूद सरकारी कर्मचारी श्रमिकों से उनकी पसंद पूछते हैं और फिर फिल्म दिखाते हैं । यहां अधिकांश डिमांड भोजपुरी फिल्मों की है। भोजपुरी फिल्मों के साथ ही बिहार और उत्तरप्रदेश के पारंपरिक लोकगीत भी दिखाए जाते हैं। यहां लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर जागरूक किया जाता है । उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग, बार-बार हाथ धोने व मास्क लगाने को लेकर जागरूक किया जाता है।

कलेक्टर व उपखंड अधिकारी खुद कोरोना से बचाव को लेकर इन लोगों को जागरूक करते हैं। शेल्टर होम में पिछले 6 दिन से प्रवासी मजदूर फंसे हुए थे, लेकिन इनके लिए ट्रेन की अनुमति नहीं मिल पा रही थी। अपने घर से दूर ये लोग दिनभर यहां परेशान हो रहे थे। कई लोग तनाव के चलते गुस्सा भी करने लगते थे। कई बार कर्मचारियों के साथ मतभेद भी हो जाते हैं। इनका मानसिक तनाव दूर करने के लिए फिल्म दिखाने के साथ खुद अधिकारी संवाद करते हैं। इन शेल्टर होम में पैदल चलने वाले श्रमिकों को रखा जाता है। यहां इनका टेस्ट कराने के साथ ही बसों से घर भेजा जाता है।


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