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राजस्थानः गहलोत सरकार भी स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र में देगी आरक्षण

Gehlot government. राजस्थान में गहलोत सरकार भी स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र में आरक्षण देगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 05:44 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 05:44 PM (IST)
राजस्थानः गहलोत सरकार भी स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र में देगी आरक्षण
राजस्थानः गहलोत सरकार भी स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र में देगी आरक्षण

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार निजी क्षेत्र की नौकरियों में राजस्थान के मूल निवासियों को 70 से 75 फीसद आरक्षण देने की तैयारी कर रही है। गहलोत सरकार सरकार से पैकेज का फायदा उठाने वाले बड़े उद्योगों से लेकर पब्लिक-प्राइवेट पार्टर्नशिप में चल रहे प्रोजेक्ट व छोटे उद्योगों में भी प्रदेश के युवाओं को रोजगार में आरक्षण मिलेगा। गहलोत सरकार के इस फैसले से सबसे अधिक असर प्रदेश के निजी क्षेत्र में काम कर रहे बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों पर होगा। इन दोनों राज्यों के लोग बड़ी संख्या में प्रदेश के निजी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। स्थानीय को आरक्षण देने के साथ ही न्यूनतम वेतन को लेकर भी सरकार गाइडलाइन तय करेगी। गाइडलाइन के हिसाब से ही निजी क्षेत्र स्थानीय युवाओं को वेतन देंगे।

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राज्य के उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा का कहना है कि जब अन्य राज्य ऐसा कर रहे हैं तो हम अपने युवाओं के लिए ऐसा निर्णय क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, गुजरात और बंगाल में होने वाली सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में एक पेपर स्थानीय भाषा का होता है। इससे इन तीनों राज्यों के युवाओं को सरकारी नौकरियों में अन्य प्रदेशों के युवाओं के मुकाबले अधिक अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि हम किसी तरह का भेदभाव नहीं करते, लेकिन स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण पर विचार किया जा रहा है। अंतिम निर्णय विचार-विमर्श के बाद ही होगा।

निजी क्षेत्र से होगा विचार-विमर्श 

स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र में रोजगार में आरक्षण देने को लेकर 19 सितंबर को शासन सचिवालय में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में उद्योग संघों के प्रतिनिधियों के साथ ही बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है। बैठक में राज्य सरकार के उद्योग व श्रम विभाग के अधिकारी मौजूद रहेंगे। अधिकारियों का मानना है कि निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने के रास्ते में कई तरह की दिक्कतें भी हैं।

फार्मा, ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग और केमिकल सहित कई उद्योग ऐसे हैं, जिनमें कर्मचारियों की नियुक्ति अखिल भारतीय स्तर पर होती है, उनमें स्थानीय स्तर पर योग्य कर्मचारी न मिलने का भी खतरा है। निजी क्षेत्र के बैंकों में भी स्थानीय स्‍तर पर आरक्षण लागू करने में कई तरह की बाधाएं हैं। इन बाधाओं को देखते हुए ही सरकार ने निजी क्षेत्र से इस पूरे मामले में चर्चा करने का फैसला किया है।

राजनीतिक लाभ लेने की रणनीति

आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी सरकार ने निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को 75 फीसद आरक्षण का प्रावधान किया तो वहां के युवाओं में उनके प्रति लगाव बढ़ा है। आंध्र प्रदेश सरकार के फैसले के बाद कनार्टक, गुजरात व तमिलनाडु में भी इसी तरह की मांग उठने लगी है। गहलोत सरकार के रणनीतिकारों का मानना है कि यह निर्णय राजनीतिक रूप से यह फैसला सत्ताधारी पार्टी के लिए फायदेमंद है। आगामी स्थानीय निकाय व पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में कांग्रेस को इस निर्णय से लाभ हो सकता है। हालांकि अधिकारियों का मानना है कि इसके साइड इफेक्ट भी कम नहीं है।

अधिकारियों का कहना है कि कहीं ऐसा ना हो कि स्थानीय लोगों को 75 फीसद आरक्षण देने पर राजस्थान में उद्योग लगने ही बंद हो जाएं। इसलिए इस मामले में पहले निजी क्षेत्र की रायशुमारी बहुत जरूरी है। राजस्थान के श्रमिकों से लेकर उद्योगपति तक दूसरे राज्यों में हैं। ऐसे में अगर दूसरे राज्यों में भी इस तरह का आरक्षण लागू हुआ तो निजी क्षेत्र में दूसरे राज्यों में काम कर रहे राजस्थान के श्रमिक और कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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