गहलोत सरकार ने वसुंधरा की एक और योजना का नाम बदला- गुरू गोलवरकर योजना का नाम अब गांधी के नाम पर
गहलोत सरकार ने वसुंधरा राजे सरकार की एक और योजना का नाम बदल दिया है। गुरू गोलवरकर जनभागीदारी योजना का नाम अब महात्मा गांधी जनभागीदारी योजना कर दिया गया है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने पिछली वसुंधरा राजे सरकार की एक और योजना का नाम बदल दिया है। वसुंधरा राजे सरकार के समय बनी गुरू गोलवरकर जनभागीदारी योजना का नाम अब महात्मा गांधी जनभागीदारी योजना कर दिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास एवं रोजगार सृजन तथा सामुदायिक परिसम्पतियों के निर्माण और रख रखाव के लिए यह योजना तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने बनाई थी। इसके तहत राज्य सरकार किसी भी विकास कार्य पर अधिकतम 15 लाख खर्च कर सकती है, शेष फंड स्थानीय भागीदारी से जुटाया जाने का प्रावधान है। यह योजना ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित की जाती है। करीब एक साल पहले सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे सरकार की योजनाओं की समीक्षा करने का निर्णय लिया था। इनमें से कुछ योजनाओं को बंद करने के साथ ही अन्य योजनाओं की समीक्षा करने को लेकर मंत्रियों एवं अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे।
गहलोत सरकार ने सबसे पहले वसुंधरा राजे सरकार ने निजी अस्पतालों में इलाज के लिए चलाई जाने वाली भामाशाह कार्ड योजना बंद की और फिर केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना को खुद का नाम देते हुए नई योजना शुरू की। इस योजना का नाम आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य योजना किया गया। इसी तरह विजया राजे सिंधिया स्वयं सहायता समूह योजना का नाम बदलकर प्रियदर्शिनी आदर्श स्वयं सहायता समूह कर दिया गया। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न समूहों का संचालन किया जाता था।
राज्य सरकार महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से इन समूहों को आर्थिक सहायता प्रदान कर महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती है। राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश का कहना है कि हमने योजना को पहले से सशक्त बनाया है। भाजपा की योजना केवल नाम के लिए बनी थी।