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राजस्थान की गहलोत सरकार गुर्जरों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेगी

गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज 13 साल पुराने मुकदमों को वापस लिया जाएगा। ये सभी मुकदमें सितंबर माह तक वापस ले लिए जाएंगे।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 10:07 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 10:07 AM (IST)
राजस्थान की गहलोत सरकार गुर्जरों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेगी
राजस्थान की गहलोत सरकार गुर्जरों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेगी

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार करीब 13 साल पुराने गुर्जर आरक्षण आंदोलन में दर्ज हुए सभी मुकदमों को वापस लेने की तैयारी कर रही है। अब तक 44 मुकदमें लंबित है, जिनमें गुर्जर समाज के लोगों के खिलाफ राजकार्य में बाधा डालने, सार्वजनिक संपति को नुकसान पहुंचाने व लोगों से मारपीट करने के आरोप लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्य सचिव एवं गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं की सितंबर माह तक सभी मुकदमें वापस ले लिए जाएं। 

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 मुकदमों को वापस लेने एवं गुर्जर समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर इस माह के दूसरे सप्ताह में मंत्रियों की कमेटी के साथ गुर्जर नेताओं की बैठक होगी। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने उर्जा मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला की अध्यक्षता वाली मंत्रियों की कमेटी एवं अधिकारियों से कहा है कि गुर्जर आंदोलन के दौरान गुर्जरों पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और हिंसा करने के जो भी मुकदमें दर्ज किए गए हैं, उसे तत्काल प्रभाव से खत्म करने की प्रक्रिया शुरु की जाए। गुर्जर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मामले की जांच पुलिस की सीआईडी शाखा कर रही है। इसको लेकर जिला स्तर पर दौसा, भरतपुर, अजमेर, सीकर, बूंदी, सवाई माधोपुर, अलवर, झुंझुनूं, टोंक और जयपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखा गया है।

 754 मुकदमें दर्ज हुए थे

गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान 754 मुकदमें सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, हिंसा करने, कानून को हाथ में लेने और सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने को लेकर दर्ज किए गए थे। गुर्जर आंदोलन संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के खिलाफ तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। इनमें से 297 मुकदमों में अंतिम एफआर लग चुकी है। 190 मामले पूर्व में राज्य सरकार ने वापस ले लिए। 223 मुकदमें कोर्ट में चल रहे हैं। अब 44 मुकदमें ऐसे हैं,जो राज्य सरकार के पास लंबित है। सरकार इन मुकदमों को वापस लेने की तैयारी कर रही है। 

 गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेता शैलेंद्र सिंह ने बताया कि मुकदमें वापस लेने को लेकर सरकार के साथ बातचीत का दौर चल रहा है, कुछ वापस हो गए और कुछ कोर्ट में चल रहे हैं। राज्य सरकार के पास जो मामले लंबित है, उन्हे वापस लेने को लेकर सहमति हो गई,मंत्रिमंडलीय उप समिति के साथ गुर्जर नेताओं की अगली बैठक में इस पर अंतिम निर्णय हो जाएगा । वैसे सरकार ने मुकदमें वापस लेने को लेकर अपनी मंशा जताई है।

उल्लेखनीय है कि साल, 2007 से दस साल तक चले हिंसक गुर्जर आरक्षण आंदोलन में 72 लोग मारे गए थे। उस दौरान आंदोलनकारियों ने रेलवे, रोड़वेज सहित सरकारी संपतियों को नुकसान पहुंचाया था। लोगों के साथ मारपीट की थी,पुलिस ने हिंसक भीड़ को काबू में करने के लिए फायरिंग की। हिंसा और फायरिंग में 72 लोगों की मौत हुई थी। लंबे आंदोलन के बाद गहलोत सरकार ने साल, 2019 में विधानसभा में विधायक पारित करा कर गुर्जर सहित पांच जातियों को 5 फीसदी आरक्षण दिया था। इसके साथ ही इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने को लेकर शासकीय संकल्प भी पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था।


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