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उदयपुर में घट गया जंगल और रेगिस्तान में बढ़ा, फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से खुलासा

उदयपुर में घट गया जंगल रेगिस्तान में बढ़ा फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से खुलासा हरियाली के लिए प्रसिद्ध उदयपुर में जंगल घटना चिंताजनक

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 10:00 AM (IST)
उदयपुर में घट गया जंगल और रेगिस्तान में बढ़ा, फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से खुलासा
उदयपुर में घट गया जंगल और रेगिस्तान में बढ़ा, फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से खुलासा

उदयपुर, सुभाष शर्मा। राजस्थान के सूखे और रेगिस्तानी जिलों में जंगल बढ़ने की खबर बेहद सुखद है, वहीं उदयपुर जैसे पहाड़ी और हरियाली वाले क्षेत्र में जंगल की कमी चिंताजनक है। जहां राजस्थान के ज्यादातर जिलों में वनीय क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है, वहीं उदयपुर संभाग के आदिवासी बहुल प्रतापगढ़ और चित्तौड़गढ़ जिले को छोडकर सभी जिलों में जंगल घटा है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, देहरादून की ओर से पिछले दिनों जारी सर्वे रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है।

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फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, देहरादून हर दो साल में वन क्षेत्र को लेकर सर्वे कराता है और साल 2019 में देश भर में कराए गए सर्वे की रिपोर्ट जनवरी 2020 में जारी की गई। जिससे जाहिर होता है कि प्रदेश के सूखे जिलों में शुमार बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, झुंझुनूं, सीकर तथा चूरू आदि जिलों में वनीय क्षेत्र में मामूली बढ़ोतरी हुई है, इसके विपरीत उदयपुर संभाग के उदयपुर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा राजसमंद जिलों में वनीय क्षेत्र घटा है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रतापगढ़ जिले में साल 2015 के मुकाबले छह वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ा है। वहीं राजसमंद में दस वर्ग किलोमीटर, बांसवाड़ा में साढ़े छह वर्ग किलोमीटर, डूंगरपुर में लगभग 11 वर्ग किलोमीटर तथा उदयपुर में साढ़े छह वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र घटा है।

चित्तौड़गढ़ में बेहद कम एक वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र की बढ़ोतरी हुई है। पर्यावरणविद् इसके लिए सिक्सलेन के लिए जारी कार्य को भी जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि अहमदाबाद से उदयपुर हाई वे पर जारी सिक्सलेन कार्य के चलते लगभग दस हजार बड़े पेड़ों को काट दिया गया। इसके विपरीत अभी तक पनए पेड़ नहीं लगाए जा सके। इसी तरह के हालात प्रदेश के अन्य ऐसे जिलों के हैं, जो हरियाली के नाम से या वनीय क्षेत्र के चलते पहचाने जाते हैं। इनमें बूंदी, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, कोटा, सवाई माधोपु, सिरोही जिले शामिल हैं, जहां वनीय क्षेत्र घटा है।

पर्यावरणविद् डॉ. अनिल मेहता का कहना है कि यह बेहद चिंताजनक बात है कि उदयपुर संभाग में वन क्षेत्र में कमी आई है। राज्य सरकार एवं स्वयं सेवी संस्थाओं को मिलकर वन क्षेत्र में बढ़ोतरी को लेकर कदम उठाने चाहिए। रेगिस्तानी जिले बाड़मेर-जैसलमेर में बढ़ा जंगल रेगिस्तान के लिए पहचाने जाते बाड़मेर तथा जैसलमेर जिले वनीय क्षेत्र की वृद्धि में अव्वल रहे। बाड़मेर में दो सालों के अंदर सत्रह वर्ग किलोमीटर वनीय क्षेत्र की बढ़ोतरी हुई, वहीं जैसलमेर में तेरह वर्ग किलोमीटर जंगल बढ़ा। इसी तरह रेगिस्तान के बीकानेर जिले में नौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगल बढ़ा है। प्रदेश के चूरू, दौसा, धौलपुर तथा करौली उन जिलों में शामिल हैं, जहां वन क्षेत्र में ना तो कमी हुई और ना ही बढ़ोतरी। 

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