Lockdown: मजबूर पिता व पति ने चोरी के बाद लिखा जीवित रहा तो कर्ज अवश्य अदा करेंगे
father and husband. राजस्थान में मजबूर पिता व पति ने चोरी के बाद माफी मांगते हुए लिखा जीवित रहा तो कर्ज अवश्य अदा करेंगे।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। father and husband. राजस्थान सरकार अन्य राज्यों के श्रमिकों को ट्रेन और बस से उनके गंतव्य तक पहुंचाने की बात कह रही है, लेकिन सैकड़ों श्रमिक ऐसे हैं जिनका ना तो ट्रेन में नंबर आया है और ना ही उन्हें बस में स्थान मिला है। यहां अपना घर छोड़कर यहां मजदूरी के लिए आए थे, लेकिन दो माह से काम-धंधा बंद होने के कारण अब ना तो इनके पास पैसे रहे और ना ही खाने का सामान रहा। ऐसे में अब ये पैदल ही अपने घर की तरफ निकले हैं। पिछले तीन दिन में राजस्थान में ऐसी दो घटनाएं सामने आईं, जिनमें एक पिता और एक पति की लाचारी सामने आई। इस लाचारी के चलते उन्होंने चोरी तो की, लेकिन साथ में माफी मांगते हुए कहा कि कभी अगर जीवित रहे और फिर कभी इधर से निकलना हुआ तो कर्ज जरूर चुकाएंगे। ऐसे दो मामले राजस्थान के भरतपुर व जयपुर जिलों में सामने आए।
मजबूर पिता ने साइकिल चुराई और मांगी माफी
भरतपुर जिले में ईंट के भट्टे पर काम करने वाला उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी मोहम्मद इकबाल अपने परिवार के साथ पैदल ही अपने घर जाने के लिए निकला। उसके साथ पत्नी, दो बेटी और एक बेटा थे। पत्नी और दोनों बेटियों ने सिर पर सामान रखा हुआ था और खुद मोहम्मद इकबाल ने अपने 11 साल के दिव्यांग बच्चे को कंधे पर बिठा रखा था। इकबाल का परिवार बुधवार रात उत्तर प्रदेश सीमा से सटे राजस्थान के सहनावली गांव में आकर रुका। खुले आसमान के नीचे यह परिवार सोया तो ग्रामीण ने उन्हें भोजन दे दिया। अगले दिन ग्रामीणों की नींद खुलने से पहले यह परिवार चला गया। जिस घर के बाहर चबूतरे पर यह परिवार रुका था, उसके मालिक साहब सिंह की साइकिल गायब नजर आई। इस पर साहब सिंह ने गांव के सरपंच के साथ पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने जाने का विचार किया।
इसी बीच, उसकी नजर उस स्थान पर पड़ी जहां साइकिल खड़ी थी। उस स्थान पर एक पत्थर के नीचे कागज रखा हुआ था। साहब सिंह ने कागज उठाकर देखा तो चिठ्ठी लिखी हुई थी। चिठ्ठी लिखने वाले ने खुद को बरेली निवासी मोहम्मद इकबाल बताते हुए कहा कि मेरा बेटा दिव्यांग है। मुझे बरेली तक जाना है। बेटे को इतनी दूर कंधे पर बिठाकर ले जाना मुश्किल है। मैं मजबूर हूं, मुश्किल में हूं, इसलिए आपकी साइकिल चोरी कर के ले जा रहा हूं। उसने लिखा अगर इस जीवन में कभी इधर से आना हुआ तो आपकी साइकिल का कर्ज अवश्यक अदा करूंगा। यह चिठ्ठी पढ़ने के बाद साहब सिंह ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने का मानस बदल दिया। हां, उसने पैदल चल रहे लोगों की पीड़ा ग्रामीणों को अवश्य बताई। ग्रामीणों ने तय किया कि अब उनके गांव से गुजरने वालों को वे पानी पिलाएंगे, अगर कोई मांगेगा तो खाना भी खिलाएंगे।
गर्भवती पत्नी के लिए साइकिल रिक्शा चुराया और लाचारी बताई
जयपुर के आगरा रोड पर कानोता से शुक्रवार को एक साइकिल रिक्शा गायब हो गया। रिक्शा मालिक सुलेमान सुबह उठकर घर से बाहर निकला तो उसे अपना साइकिल रिक्शा नजर नहीं आया। इस पर उसके अपने अन्य साथियों को नींद से जगाकर यह बात बताई। सभी एकत्रित हुए सुलेमान के साथी रामजीलाल की नजर कमरे की दीवार पर काले रंग के कोयले से लिखी तीन लाइनों पर पड़ी। उन्होंने पास जाकर देखा तो खुद को करौली जिले के मंडरायल निवासी बताते हुए किसी ने लिखा था मैं और मेरी पत्नी जयपुर से गांव तक पैदल जा रहे हैं। पत्नी गर्भवती है। पत्नी बहुत अधिक परेशान है, जेब में पैसे नहीं होने के कारण यह रिक्शा चुरा रहा हूं, माफ करना। काम पर फिर आऊंगा तो रिक्शा यहीं छोड़ जाऊंगा। उसने लिखा मुझे चोरी का पाप लगेगा, लेकिन क्या करता दुखी हूं। सुलेमान ने अपने मालिक युनूस को यह बात बताई। युनूस ने रमजान के महीने में खुद की तरफ से उसे नया रिक्श दिलाने की बात कही।