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National Doctors Day 2019: डॉक्‍टर भी इंसान ही है भगवान नहीं, रोग से लड़ाई में डॉक्‍टर को अकेला ना छोड़ें

National Doctors Day 2019- पीड़ित मानव हित में हमें तो बस एक सकंल्प करना चाहिए कि वह रोग से लड़ाई में डॉक्‍टर को अकेला ना छोड़े बल्कि रोग से लड़ने के लिए टीम भावना रखें।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 10:49 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 10:49 AM (IST)
National Doctors Day 2019: डॉक्‍टर भी इंसान ही है भगवान नहीं, रोग से लड़ाई में डॉक्‍टर को अकेला ना छोड़ें
National Doctors Day 2019: डॉक्‍टर भी इंसान ही है भगवान नहीं, रोग से लड़ाई में डॉक्‍टर को अकेला ना छोड़ें

अजमेर, संतोष गुप्ता। समाज के हर क्षेत्र में तेजी के बढ़ते प्रोफेश्नलिज्म और काॅम्पिटिशन से स्वास्थ्य एवं चिकित्सकीय सेवाएं भी अछूती नहीं रही हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान में नित नवीन जांच तकनीक एवं चिकित्सालय सुविधाओं के विस्तार और दूर- दराज ठेठ गांव -देहात में सहज और सरल उपलब्धता के बावजूद डॉक्‍‍‍‍टर के प्रति आमजन का विश्वास और सम्मान कहीं घटता प्रतीत होने लगा है।

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मरीज की डॉक्‍‍‍‍टर के प्रति नजर और डॉक्‍‍‍‍टर का मरीज के प्रति नजरिया लगता है कुछ बदल सा गया है। समाज में डॉक्‍‍‍‍टर को मिलने वाला सम्मान और उसे दिए जाने वाले भगवान का दर्जा अब कहीं धुंधलाने लगा हैं जैसे जैसे लोगों में चिकित्सा ज्ञान - विज्ञान की समझ बढ़ने लगी है उन्हें कभी डॉक्‍‍‍‍टर में व्यापारी तो डॉक्‍‍‍‍टर को मरीज में ग्राहक दिखाई देने लगा है। जबकि सच और सच्चाई यही है कि हर पीड़ा का कोई कारण है और हर पीड़ित के लिए ईश्वर का दिया कोई निदान है। पीड़ित मानव हित में हमें तो बस एक सकंल्प करना चाहिए कि वह रोग से लड़ाई में डॉक्‍‍‍‍टर को अकेला ना छोड़े बल्कि रोग से लड़ने के लिए टीम भावना रखें। एक जुलाई 2019 डॉक्‍‍‍‍टर डे पर हमने अजमेर के कुछ जाने माने चिकित्सा विशेषज्ञों से आमजन के लिए संदेश जुटाया है। प्रस्तुत है यह रिपोर्ट

डॉक्‍‍‍‍टर भी इंसान ही है भगवान नहीं-
अजमेर के जाने माने शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के डाॅ. प्रशांत माथुर ने National Doctors Day 2019 पर आमजन को संदेश दिया कि डॉक्‍‍‍‍टर को भगवान ना समझें और डॉक्‍‍‍‍टर भी खुद को भगवान ना समझे, क्यों कि वह खुद भी एक इंसान ही है, शिक्षा, ज्ञानार्जन और मेहनत कर वह इस मुकाम पर पहुंचा है कि रोग का निदान देने में सक्षम हुआ है। रोगी के लिए डॉक्‍‍‍‍टर और डॉक्‍‍‍‍टर के लिए रोगी और उसके परिवारजन मिलकर एक टीम बनती है जो रोग से लड़ाई कर उसपर जीत हासिल करने के लिए प्रयास करती है। रोग से लड़ाई में डॉक्‍‍‍‍टर को अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए। टीम भावना से ही जीत मिलती है। डॉक्‍‍‍‍टर तो उसी टीम का हिस्सा होता है जिस रोग से मरीज को लड़ाई करनी है बीमारी को दूर करना है।

हर हाल में खुश रहने में है दिल की मजबूती-
जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ एम जी अग्रवाल ने डॉक्‍‍‍‍टर डे पर संदेश में कहा कि हर हाल में खुश रहने से दिल मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में लोगों का हर समय तनावग्रस्त रहना शरीर में कई तरह के रोगों को आमंत्रण के साथ स्वयं पीड़ा का द्वार खोलने जैसा है। डाॅ अग्रवाल ने कहा कि जहां एक ओर चिकित्सा विज्ञान तरक्की के साथ मृत्यु पर अधिकतम आयु तक जीत की ओर अग्रसर है वहीं लोग हैं कि दैनिक जीवन की छोटी-छोटी बातों से तनावग्रस्त रहकर रोगों को गले लगा रहे हैं, इससे बचना चाहिए। 

पाॅजिटिव सोचें और विश्वास रखें-
जानेमाने फिजीशियन डाॅ तरुण सक्सेना का डॉक्‍‍‍‍टर डे पर जनता को संदेश है कि सदैव पाॅजिटिव सोचें और विश्वास रखें। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए यह सूत्र सबसे कारगर है। प्रतिदिन व्यायाम करें। लेपटाॅप, मोबाइल, कम्प्यूटर व टी वी से अधिकतम बचने का प्रयास करें और मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करें , जरूरत पड़ने पर ही काम में लेें। अंकुरित अनाज व बादाम का सेवन को अपने भोजन का हिस्सा बनाएं।

बीमारी को उसके शुरुआत में ही दबोच लें-
गुर्दा रोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीर सिंह चौधरी का जनता को कहना है कि बीमारी को उसके शुरुआत में ही दबोच लिया जाना चाहिए। कोई भी बीमारी हो उसके शुरुआती दौर में उसका चिकित्सक से समय पर उपचार करवाने से बीमारी को रोका जा सकता है। अपने लाइफ स्टाल में बदलाव से भी रोग के बढ़ने पर रोक लग जाती है। मौजूदा लाइफ स्टाइल के चलते ब्लडप्रेशर, ब्लड शुगर, हृदय रोग, मोटापा जैसी बीमारियां लोगों को जकड रही हैं, इन बीमारियां से बचाव करें, धूम्रपान व शराब का सेवन नहीं करें और प्रतिदिन कम से कम 45 मिनिट सप्ताह में पांच दिन व्यायाम जिससे व्यक्ति हेल्दी रह सकता है।

आधा ज्ञान अविश्वास का जनक-
श्वास, फेफड़े व अस्थमा रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रमोद दाधीच ने डॉक्‍‍‍‍टर डे पर संदेश दिया कि चिकित्सक से परामर्श के बिना कोई दवाई स्वयं ही खरीद कर ना खाएं। किसी भी चीज के बारे में पूरी जानकारी रखे। आधा ज्ञान सदैव अविश्वास को बढ़ाता है। आज के दौर में चिकित्सक व मरीज के बीच जो दूरियां बन रही हैं वह आधा ज्ञान प्राप्त करने या फिर सुने सुनाए पर भरोसा कर अपना मत बनाने के कारण ही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वेंटीलेटर कृत्रिम श्वास देने का काम करता है न कि हृदय व दिमाग चलाने का। लोग मरीज को वेंटीलेटर पर रखने का विरोध अपने अधूरे ज्ञान के कारण ही करते हैं। डाॅ दाधीच ने कहा कि मेडिकल स्टोर पर चिकित्सक की पर्ची के बिना दवाइयां का क्रय विक्रय नहीं होना चाहिय। इसके लिए सरकार को भी कोई व्यवस्था देनी चाहिए। 


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