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राजस्थान सरकार पर 20 करोड़ का जुर्माना, बांडी नदी में प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर कार्रवाई

Rajasthan Government. एनजीटी ने राजस्थान की बांडी नदी में प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर राजस्थान सरकार पर 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 01:58 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 01:58 PM (IST)
राजस्थान सरकार पर 20 करोड़ का जुर्माना, बांडी नदी में प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर कार्रवाई
राजस्थान सरकार पर 20 करोड़ का जुर्माना, बांडी नदी में प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर कार्रवाई

जयपुर, जेएनएन। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान की बांडी नदी में प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर राजस्थान सरकार पर 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। बांडी नदी में स्थानीय टेक्सटाइल यूनिटों का गंदा पानी जाता है।

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जस्टिस राघवेंद्र एस. राठौड़ की बैंच ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि एक माह में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में उक्त राशि अंतरिम राशि के रूप में जमा कराई जाए। सरकार इस राशि की वसूली प्रदूषण फैलाने वालों से कर सकेगी। खंडपीठ ने कृषि सचिव और राजस्थान सरकार को यह निर्देश भी दिए हैं कि बांडी नदी के प्रदूषण से कृषि योग्य जमीन, नजदीकी कुंओं और किसानों को हो रहे नुकसान का आकलन भी कराएं। इसकी रिपोर्ट एक माह में दी जाए और इसमें किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे का भी उल्लेख किया जाए।

खंडपीठ ने कहा है कि हमने सीईटीपी ऑपरेटर पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है, क्योंकि उन्होंने प्रदूषक तत्व नदी में डाले और ऐसा कोई सिस्टम विकसित नहीं किया, जिससे कि ट्रीटेड पानी वापस उद्योगों को दिया जा सके। खंडपीठ ने पाली के कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि ट्रिब्यूनल के आदेशों के पालन की हर साप्ताह समीक्षा कराएं और जोधपुर के संभागीय आयुक्त हर माह इसकी समीक्षा करें।

पीने योग्य नहीं रहा जल

खंडपीठ ने यह आदेश किसान पर्यावरण संघर्ष समिति की याचिका पर दिए हैं। याचिका में कहा गया था कि टेक्सटाइल इकाइयां बांडी नदी को प्रदूषित कर रही हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट ने 2008 में यहां किए गए अध्ययन में पाया था कि पाली का 80 प्रतिशत सतही और भूमिगत जल पीने योग्य नहीं है। इनमें काफी अधिक मात्रा में आर्गेनिक प्रदूषक तत्व थे। यह केस 2012 में जोधपुर हाई कोर्ट से एनजीटी को स्थानांतरित किया गया था। खंडपीठ ने यह भी माना है कि राजस्थान स्टेट इंडस्टि्रयल डवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन इस औद्योगिक क्षेत्र का सही ढंग से संचालन नहीं कर रहा है। गंदा पानी निकालने वाली यहां की नालियां रूकी पड़ी हैं। यहां कचरे को जलाया भी जाता है, जिससे वायु प्रदूषण भी फैलता है और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

स्वास्थ्य शिविर लगाएं

एनजीटी ने कहा है कि सरकार ने भी गांववासियों के स्वास्थ्य और पेयजल की सुरक्षा तथा खेती की जमीन को होने वाले नुकसान पर कोई ध्यान नहीं दिया है। इसने स्वास्थ्य सचिव को यहां के लोगों के स्वास्थ्य के बारे में एक रिपोर्ट तैयार करने और हर माह स्वास्थ्य जांच शिविर लगाने को कहा है। इसके साथ ही जलदाय सचिव बांडी नदी के कैचमेंट क्षेत्र और भूमिगगत जल की स्थिति के बारे में रिपोर्ट देंगे। इसमें उन्हें बताना होगा कि प्रदूषण से पानी कितना प्रभावित हो रहा है और लोगों को सही पानी पिलाने की क्या व्यवस्था की जा रही है।


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