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Coronavirus: महिला चिकित्सक का आइएएस दंपती पर चिकित्साकर्मियों को तंग करने का आरोप

Coronavirus अजमेर में महिला चिकित्सक ने आइएएस दंपती पर चिकित्साकर्मियों को तंग करने का आरोप लगाया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 07:40 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 07:40 PM (IST)
Coronavirus: महिला चिकित्सक का आइएएस दंपती पर चिकित्साकर्मियों को तंग करने का आरोप
Coronavirus: महिला चिकित्सक का आइएएस दंपती पर चिकित्साकर्मियों को तंग करने का आरोप

अजमेर, संवाद सूत्र। Coronavirus: राजस्थान के अजमेर जिले में तैनात आइएएस दंपती के व्यवहार पर चिकित्सकों ने रोष प्रकट किया है। आरोप लगाया है कि ऐसे तनावपूर्ण माहौल में काम करना मुश्किल हो रहा है। अजमेर शहर में कोरोना वायरस के सबसे बड़े केंद्र बने मुस्लिम मोची मोहल्ले में लोगों के स्वस्थ्य की जांच का प्रबंध करने वाली चिकित्सा अधिकारी डॉ. ज्योत्सना रंगा ने 22 अप्रैल को बताया कि 21 अप्रैल की रात को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कक्ष में अजमेर की एसडीएम और कोविड-19 की नोडल अधिकारी आर्तिका शुक्ला ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। वहीं, इस आरोप को शुक्ला ने मीडिया के समक्ष नकार दिया।

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डॉ रंगा का आरोप है कि शुक्ला को आशंका थी कि वे उनके व्यवहार और शब्दों का मोबाइल से वीडियो बना रही हैं। हालांकि उन्हें भरोसा दिलाया कि मोबाइल पर वीडियो नहीं बनाया जा रहा और न ही कोई वॉइस रिकॉर्डिंग की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद भी शुक्ला ने उनका हाथ मरोड़ा और अपने सुरक्षा गार्ड को इशारा कर उनका मोबाइल छीन लिया। डॉ. रंगा ने कहा कि शुक्ला चाहती थीं कि मुस्लिम मोची मोहल्ले में जिन लोगों को क्वारंटाइन किया जा रहा ,है उन्हें उनके घरों पर ही क्वारंटाइन कर दिया जाए।

जबकि कोविड-19 नियमों के मुताबिक जिन व्यक्तियों का कोरोना टेस्ट होता है, उन्हें आगामी 15 दिनों तक सरकार द्वारा अधिग्रहीत किए गए स्थानों पर ही क्वारंटाइन किया जाता है। चूंकि क्वारंटाइन व्यक्तियों की रोजाना जांच होती है, इसलिए संबंधित सेंटरों पर ही रहना जरूरी होता है। डॉ. रंगा ने कहा कि शुक्ला ही नहीं बल्कि जिले के ब्यावर उपखंड में तैनात उनके पति और एसडीएम जेएस संधु भी चिकित्सा कर्मियों को तंग करते हैं। ब्यावर में चिकित्सक भामाशाहों की मदद से क्वारंटाइन सेंटरों में भोजन आदि की व्यवस्था करवा रहे हैं।

एसडीएम संधु आए दिन चिकित्सा कर्मियों को नोटिस जारी कर रहे हैं। जबकि ब्यावर प्रशासन की ओर से नियमानुसार राशि भी आवंटित नहीं की गई है। चिकित्सा कर्मी अपनी जांच जोखिम में डालकर कोरोना वायरस से युद्ध लड़ रहे हैं। डॉ. रंगा ने कहा कि आइएएस दंपती के व्यवहार से जिले भर के चिकित्सा कर्मियों में रोष है। हालांकि वे कोविड-19 से युद्ध स्तर पर मुकाबला कर रहे हैं, लेकिन सरकार को उनकी सुरक्षा भी करनी चाहिए। सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि हमारा आत्मसम्मान बना रहे।

एसडीएम आर्तिका ने आरोप नकारा

वहीं, कोविड-19 की नोडल अधिकारी अजमेर की एसडीएम आर्तिका शुक्ला ने चिकित्सा अधिकारी ज्योत्सना रंगा के सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने चिकित्सकों के सामने कोई दखल नहीं दिया। उन्होंने सफाई में कहा कि 21 अप्रैल को जब मुस्लिम मोची मोहल्ले में 35 व्यक्तियों के कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना मिली तो वे विस्तृत योजना बनाने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पास गई। डॉ. केके सोनी योजना बना रहे थे तभी डॉ. ज्योत्सना रंगा ने दखल दिया। हाथ मरोड़ने जैसी कोई घटना नहीं हुई। कक्ष में उस समय और चिकित्सक भी उपस्थित थे।

इस विषय पर बाद में बात कर लेंगे

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ के के सोनी ने कहा कि अभी तो सारा फोकस कोरोना संदिग्धों की पहचान और जांच पर लगा हुआ है। इस विषय पर बाद में बात करेंगे। अजमेर में 1800 से अधिक की कोरोना जांच की गई है, कई अन्य की रिपोर्ट आना शेष है। चिंता उसी की है। 

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