Farmers Protest: पड़ोसी राज्यों में अपनी उपज बेचने को मजबूर राजस्थान के किसान, मंडी टैक्स कम करने की कर रहे मांग
Farmers Protest पड़ोसी राज्यों के मुकाबले ज्यादा मंडी टैक्स का नुकसान किसान और व्यापारी दोनों को हो रहा है। किसानों व मंडी व्यापारियों का कहना है कि कुछ राज्यों ने हाल ही में कृषि कानूनों के लागू होने के बाद अपने यहां मंडी टैक्स में कमी की है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। एक तरफ पूरे देश में कृषि कानूनों का विरोध हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में मंडी टैक्स अधिक होने के कारण किसान अपनी उपज पड़ोसी राज्यों में बेच रहे हैं। प्रदेश के किसानों के पड़ोसी राज्यों में उपज बेचने के कारण यहां के व्यापारियों को परेशानी हो रही है।
पड़ोसी राज्यों के मुकाबले ज्यादा मंडी टैक्स का नुकसान किसान और व्यापारी दोनों को हो रहा है। किसानों व मंडी व्यापारियों का कहना है कि कुछ राज्यों ने हाल ही में कृषि कानूनों के लागू होने के बाद अपने यहां मंडी टैक्स में कमी की है। राजस्थान में वर्तमान में 2.60 फीसदी मंडी टैक्स वसूला जा रहा है। वहीं पड़ोसी राज्य हरियाणा व गुजरात में आधा-आधा फीसदी ही मंडी टैक्स है। इसी तरह राजस्थान के अन्य पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश में मंडी टैक्स 1.50 फीसदी है। उत्तरप्रदेश में पहले मंडी टैक्स 2.50 फीसदी था, जिसे कम किया गया है।
मध्यप्रदेश सरकार ने भी मंडी टैक्स 1.70 फीसदी से घटाकर मात्र आधा प्रतिशत कर दिया। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि गेंहू और जौ की उपज पर 1.60 फीसदी मंडी टैक्स व 1 प्रतिशत किसान कल्याण सेस देना पड़ता है। वहीं तिलहाल की फसलों पर कुल मिलाकर 2 फीसदी टैक्स लगता है। महाराष्ट्र में 0.80 फीसदी ही मंडी टैक्स लगता है। उत्तराखंड में पूरे राज्य को एक ही मंडी घोषित कर रखा है, जिससे यहां मंडी या बाहर उपज बेचने पर समान टैक्स लगता है।
गुप्ता का कहना है कि राजस्थान में मंडी टैक्स अधिक लगने के कारण किसान पड़ोसी राज्यों में जाकर अपनी उपज बेचने लगे हैं। प्रदेश की मंडियों में अपनी उपज बेचने के लिए आने वाले किसानों की संख्या कम हुई है । धान बेचने वाले किसान मध्यप्रदेश और मसाला व मूंगफली गुजरात में बेचा जा रहा है। वहीं किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि पिछले कुछ समय से बिजली और दाना महंगा होने के कारण खेती करना महंगा हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ मंडी टैक्स भी काफी है। इस कारण उन्हें मजबूरी में अपने प्रदेश की जगह दूसरी तरफ जाना पड़ रहा है।