कोरोना काल में राजस्थान में औषधिय खेती में दिलचस्पी ले रहे किसान
राजस्थान स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार अब औषधीय खेती में किसान पहले से काफी अधिक संख्या में दिलचस्पी ले रहे हैं। प्रदेश में औषधीय खेती के उत्पाद को बेचने के लिए कोई मंडी नहीं है लेकिन व्यापारियों के माध्यम से बड़ी कंपनियां औषधीय उत्पाद खरीद रही है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में औषधियां आम लोगों के साथ ही किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। राजस्थान में औषधिय खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर औषधीय खेती को अपनाने लगे हैं। कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधियों की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है
राजस्थान स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार अब औषधीय खेती में किसान पहले से काफी अधिक संख्या में दिलचस्पी ले रहे हैं। इस क्षेत्र में अच्छी आमदनी के कारण किसान इसे अपनाने लगे हैं। मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड के परियोजना अधिकारी डॉ.प्रमोद दत्त शर्मा ने बताया कि अभी औषधीय खेती करने वाले 20 किसान समूह पंजीकृत हैं। इन किसान समूहों के द्वारा 364 हैक्टेयर क्षेत्र में औषधीय खेती की जा रही है। उद्यान विभाग के माध्यम से 250 हैक्टेयर क्षेत्र में औषधीय खेती की जा रही है। औषधीय खेती में परंपरागत खेती के मुकाबले 3 से 4 गुना अधिक आमदनी होती है। प्रदेश में 20 प्रजातियों की औषधियों की खेती हो रही है। इनमें शतावरी,सफेद, मूसली, आंवला, जीवंती, धृतकुमारी, गुग्गुल, तुलसी, सर्पगंधा, रोहिड़ा, शंरपुखा, गिलोय, अश्वगंधा, कलिहारी, शंखपुष्पी आदि शामिल है।
प्रदेश में औषधीय खेती के उत्पाद को बेचने के लिए कोई मंडी नहीं है, लेकिन व्यापारियों के माध्यम से बड़ी कंपनियां औषधीय उत्पाद खरीद रही है। आयुर्वेद चिकित्सकों का कहना है कि प्रदेश के उत्पादों से कई दवाईयां बनती है कोरोना काल में इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में आयुर्वेदिक औषधियां काफी फायदेमंद साबित हो रही है।