Rajasthan: गांवों के नजदीक सरकारी खरीद केंद्र बनाने से किसानों को मिली राहत
Rajasthan government. पिछले वर्ष खरीद शुरू होने के पहले बीस दिन में जहां केवल 261 करोड़ रुपये की सरकारी खरीद हुई थी वहीं इस बार 1370 करोड़ रुपये की खरीद हो चुकी है।
राज्य ब्यूरो, जयपुर। Rajasthan government. कोरोना संकट राजस्थान के किसानों के लिए कुछ हद तक फायदेमंद साबित होता दिख रहा है। कोरोना संकट के चलते गांव के नजदीक सरकारी खरीद केंद्र बनाए जाने से इस बार राजस्थान के किसान आसानी से चने और सरसों की फसल बेच पा रहे हैं और बंपर खरीदी हो रही है। पिछले वर्ष खरीद शुरू होने के पहले बीस दिन में जहां केवल 261 करोड़ रुपये की सरकारी खरीद हुई थी, वहीं इस बार 1370 करोड़ रुपये की खरीद हो चुकी है। यानी पिछले वर्ष के मुकाबले पहले बीस दिन में 1100 करोड़ रुपये की ज्यादा खरीद की जा चुकी है। राजस्थान में सरसों और चने की खरीद एक मई से शुरू हुई है।
कोरोना संकट के कारण हालांकि खरीद में कुछ देरी हुई, लेकिन अब फायदा होता दिख रहा है। दरअसल, पिछले वर्ष तक किसानों को सरकारी खरीद के लिए अपनी उपज मंडी में लाना पड़ती थी और अकसर किसान परिवहन और अन्य खर्चों को बचाने के लिए आस-पास के आढ़तियों को ही फसल बेच दिया करते थे, लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते एक तो बाजार और मंडिया बंद थीं, वहीं परिवहन के साधन भी उपलब्ध नहीं थे। इसके चलते सरकार ने गांव के नजदीक ही सरकारी खरीद केंद्र बना दिए। आठ से दस गांव के बीच एक केंद्र बनाकर 799 केंद्रों पर खरीद की गई। इसका फायदा किसान को मिला। उसे अपनी उपज बेचने के लिए मंडी तक नहीं जाना पड़ा और वह सरकारी समर्थन मूल्य पर आसानी से फसल बेच पाया।
राजस्थान के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया कि इस वर्ष 20 मई तक 2.85 लाख मीट्रिक टन सरसों एवं चना की खरीद हो चुकी है। जिसकी राशि 1370.18 करोड़ रुपये है। जबकि वर्ष 2019 में इन्हीं 20 दिन की अवधि में सिर्फ 61 हजार 190 मीट्रिक टन खरीद हुई थी। जिसकी राशि 261.22 करोड़ रुपये थी। पिछले वर्ष बीस दिन में सिर्फ 3025 किसानों से उपज खरीदी गई थी। जबकि इस वर्ष 1 लाख 16 हजार 683 किसानों से उपज खरीदी गई है। आंजना ने बताया कि पिछले वर्ष 1370 करोड़ रुपये की खरीद करने में डेढ़ महीना लग गया था, जबकि इस बार सिर्फ बीस दिन में इतनी खरीद हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष किसानों को भी तीन से चार दिन में ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा है। पिछले वर्ष बीस दिन में केवल 19.64 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया गया था, जबकि इस वर्ष 1082 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया जा चुका है।
किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट कहते हैं कि गांव के नजदीक खरीद केंद्र स्थापित किए जाने का फायदा किसान को मिलता ही है, क्योंकि उसके परिवहन सहित अन्य कई खर्च बच जाते हैं। इस बार के आंकड़े इस बात को साबित करते हैं। हम सरकार से यही मांग करते हैं कि इस व्यवस्था को हमेशा के लिए जारी रखा जाए।