किसानों को नहीं मिल रहा एमएसपी का लाभ, कम कीमत पर बाजरा बेचना मजबूरी
केन्द्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की फसल खरीदने की घोषणा का राजस्थान के किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। केन्द्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की फसल खरीदने की घोषणा का राजस्थान के किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है। प्रदेश में किसानों को निराशा हाथ लग रही है। किसान जब अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं तो उन्हें फसल की बिक्री के कम दाम मिल रहे है। देश में बाजरे का सबसे अधिक उत्पादन राजस्थान में होता है। किसान अब तक आधे से ज्यादा बाजरा बेच चुके हैं लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए सेंटर नहीं खुले है।
किसानों पर व्यापारियों की मर्जी भारी
किसानों की बाजरे की सरकारी खरीद केंद्र पर पहुंचनी थी,लेकिन किसानों को ये फसल मंडी में ले जानी पड़ रही है, जहां व्यापारी किसानों की फसल को अपनी मर्जी के अनुसार निलाम कर रहे है। मंडी में किसानों को बाजरे की कीमत 1200 से लेकर 1400 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही है जबकि केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि बाजरे का समर्थन मूल्य 1950 रुपये प्रति क्विंटल होगा। किसानों का कहना है कि इसी फसल को बेचकर उन्हें परिवार चलाना है और आगे के लिए भी फसल तैयार करनी है। उन्होंने कहा कि कब तक फसल को रोककर रखेंगे और इस उम्मीद में रहेंगे कि सरकार उनकी फसल खरीदेगी। किसानों ने कहा कि सरकार यह फसल तब खरीदेगी जब माल किसानों के पास से निकलकर व्यपारियों तक पहुंच जाएगा।
व्यापारी बोले, नहीं हो रही सरकारी खरीद
व्यापारियों का कहना है कि सरकार ने अभी तक खरीद शुरू नहीं की है लिहाजा जो किसान मंडी में फसल लेकर आ रहे है। व्यापारी किसानों से फसल खरीद रहे है। चाकसू मंडी के मंडी अध्यक्ष नंदलाल मामोरिया का कहना है कि यहां सरकारी खरीद तो हो नहीं रही है, किसान आ रहे हैं तो व्यपारी 1200-1300 के भाव में फसल को खरीद रहे है। प्रदेश में इस बार 40.37 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया गया था जिसमें 37.40 लाख मिट्रीक टन बाजरा हुआ है। कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार इसमें से 60 फीसदी यानी करीब 21 लाख मीट्रिक टन बाजरा बाजार में बिकने के लिए आता है। जब से बाजरा खेतों से निकला है तब से आधा बाजार में बिक चुका, लेकिन अभी तक समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं हुई है।