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Rajasthan: कोरोना पीक के दौरान कई राज्यों में महंगे दामों में बेचे नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, मास्टर माइंड मयंक गर्ग गिरफ्तार

कोरोना महामारी के पीक के दौरान महंगे दामों में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजार में बेचने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड पकड़ा गया है। जयपुर पुलिस ने 30 वर्षीय आरोपित मयंक गर्ग को हिमाचल प्रदेश के मनाली से गिरफ्तार किया है। साथियों के पकड़े जाने पर नहर में फेंके थे इंजेक्शन

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 09 Jul 2021 01:39 PM (IST)Updated: Fri, 09 Jul 2021 01:39 PM (IST)
Rajasthan: कोरोना पीक के दौरान कई राज्यों में महंगे दामों में बेचे नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, मास्टर माइंड मयंक गर्ग गिरफ्तार
कोरोना के पीक दौरान महंगे दामों में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजार में बेचने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड पकड़ाया।

जागरण संवाददाता, जयपुर। कोरोना महामारी के पीक के दौरान महंगे दामों में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजार में बेचने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड पकड़ा गया है। जयपुर पुलिस ने 30 वर्षीय आरोपित मयंक गर्ग को हिमाचल प्रदेश के मनाली से गिरफ्तार किया है। गर्ग पंजाब मे श्री मुक्तसर के पप्पी मार्केट मलोट का रहने वाला है। उसने अपने परिचित डॉक्टर जितेश अरोड़ा, रामवतार और शंकर सैनी के साथ मिलकर राजस्थान में रेमडेसिविर के नाम पर सैंकड़ों की संख्या में नकली इंजेक्शन बेचे। उसने एक-एक इंजेक्शन के 12 से 23 हजार तक वसूले।

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प्रारंभिक पूछताछ में गर्ग बताया कि गिरोह के तीन सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस से बचने के लिए उसने बड़ी संख्या में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन सतलुज-यमुना नहर में फेंक दिए थे। कुछ इंजेक्शन इंदिरा गांधी नहर में भी फेंके थे। गर्ग ने दिल्ली के भीका जी कामा प्लेस में मेडप्रो डिस्ट्रीब्यूटर और चंडीगढ़ में एडवांस मेडिकल सिस्टम नाम से फर्म खोलकर दवाईयों का व्यवसाय चला रखा था । उसने देश के कई राज्यों में नकली रेमडेसिविर बेचने की बात स्वीकारी है ।

ऐसे पकड़ में आया

जयपुर पुलिस (नॉर्थ) के डीसीपी परिस देशमुख ने बताया कि राजस्थान में अप्रैल माह में कोरोना पीक पर था। उस समय गर्ग ने अपने साथियों के साथ मिलकर निजी अस्पतालों व मेडिकल स्टोर्स पर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचे। जून में इस मामले का खुलासा हुआ तो जांच के दौरान अरोड़ा, सैनी व रामवतार को गिरफ्तार किया गया।तीनों से हुई पूछताछ में पूरे गिरोह का खुलासा हुआ। इस पर कोटवाली पुलिस थाना अधिकारी विक्रम सिंह के नेतृत्व में आधा दर्जन पुलिसकर्मियों की टीम गठित कर जांच तेज की गई। टीम ने गर्ग को पकड़ने के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड़ में दबीश दी।

गर्ग को इसकी सूचना मिली तो उसने मोबाइल फोन का उपयोग करना बंद कर दिया था। ऐसे में 15 दिन तक तलाश कर पुलिस की टीम जून के अंत में वापस जयपुर लौट आई। इसी बीच 3 जुलाई को तकनीकी अनुसंधान के दौरान गर्ग के चंडीगढ़ में होने की जानकारी मिली। टीम चंडीगढ़ पहुंची तब तक गर्ग होटल से कमरा खाली कर चुका था। जांच में उसके मनाली में होने की जानकारी मिली। इस पर टीम ने उसे मनाली के एक होटल से गिरफ्तार किया।

उन्होंने बताया कि पुलिस ने जयपुर के चौड़ा रास्ता में दवा कारोबारी रामवतार और सैनी की दुकानों पर मिले नकली रेमडेसिविर बरामद किए तो सामने आया कि गर्ग अपने साथी डॉ.अरोड़ा के साथ मिलकर बड़ा गिरोह चला रहा है। शुक्रवार को सभी आरोपितों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई। पुलिस को इस मामले में बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है। 


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