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Corona Crisis: राजस्थान में सही ढंग से राहत पहुंचाने के लिए फूड और गेहूं बैंक जैसे प्रयोग

Corona Crisis. कोरोना संकट में जरूरतमंदों को भोजन और राशन सामग्री पहुंचाने को लेकर जहां श्रेय की राजनीति और कई तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 09:38 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 09:38 PM (IST)
Corona Crisis: राजस्थान में सही ढंग से राहत पहुंचाने के लिए फूड और गेहूं बैंक जैसे प्रयोग
Corona Crisis: राजस्थान में सही ढंग से राहत पहुंचाने के लिए फूड और गेहूं बैंक जैसे प्रयोग

राज्य ब्यूरो, जयपुर। Corona Crisis. कोरोना संकट में जरूरतमंदों तक सही ढंग से सहायता पहुंचाने के लिए राजस्थान के डूंगरपुर जिले में फूड बैंक और कोटा जिले की एक तहसील में गेहूं बैंक का प्रयोग किया गया है। फूड बैंक के जरिए डूंगरपुर में करीब डेढ़ लाख लोगों को पका हुआ भोजन और राशन के पैकेट दिए गए हैं, वहीं कोटा की कनवास तहसील में 724 क्विंटल गेहूं इकट्ठा कर लिया गया है। कोरोना संकट में जरूरतमंदों को भोजन और राशन सामग्री पहुंचाने को लेकर जहां श्रेय की राजनीति और कई तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं। वहीं, राजस्थान के दो जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों ने लीक से हटकर काम किया है और इसका फायदा भी मिला है।

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डूंगरपुर में तीन स्तरों पर फूड बैंक

राजस्थान का डूंगरपुर एक आदिवासी बहुल जिला है। यहां लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाना चुनौतीपूर्ण काम है। यहां लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने में किसी तरह का दोहराव न हो इसके लिए जिला मुख्यालय, ब्लॉक व ग्राम स्तर पर फूड बैंक बनाए गए हैं। जिला कलेक्टर कानाराम ने बताया कि इसके लिए जिले का सर्वे कर यह पता लगाया गया कि कहां कितने लोगों को भोजन और राशन सामग्री की जरूरत है। इसके बाद दानदाताओं से कहा गया कि वे जो भी सहायता करना चाहते हैं वे इस फूड बैंक में करें। यदि कोई खुद भी वितरण करना चाहता था तो उसे भी सर्वे के आधार पर चिह्नित लोगों के बीच ही भेजा गया। लोगों तक इन फूड बैंकों की जानकारी पहुंचाने के लिए बैनर लगवाए गए। फूड बैंक में सामग्री की स्थिति की जानकारी भी बाहर दीवार पर अंकित की गई।

हर फूड बैंक में प्रत्येक दिन वितरित किए जाने वाले सामान का रिकॉर्ड रखा जाता है। इसकी रिपोर्ट जिला कलेक्टर तक जाती है। कानाराम ने बताया कि अब तक पूरे जिले में 1.45 लाख लोगों तक भोजन और राशन के पैकेट पहुंचाए गए हैं। इसके अलावा दूरस्थ गांवों में जहां किराना की दुकानें नहीं थी, वहां आंगनवाड़ी केंद्रों में 'आपणी दुकान' संचालित की गई जिसमें गांव वालों की जरूरत का सामान उपलब्ध कराया गया। वर्तमान में यहां 49 'आपणी दुकान' चल रही हैं।

कोटा में 15 पंचायतो में बने गेहूं बैंक

इससे कुछ अलग तरह का एक प्रयोग कोटा जिले की कनवास तहसील में किया गया। यहां 15 पंचायतों में गेहूं बैंक बनाकर 725 क्विंटल गेहूं आपदा के समय जरूरतमंदों की सहायता के लिए जमा कर लिया गया है। क्षेत्र के उपखंड अधिकारी राजेश डागा ने बताया कि गांव में लोग पहले कटाई के समय कुछ गेहूं अलग निकालकर रख लेते थे और गांव के कुम्हार, लोहार आदि को काम के बदले गेहूं देते थे। हमने इसी परंपरा को कुछ अलग से पुनर्जीवित करने का प्रयास किया और ग्राम पंचायत पर गेहूं बैंक बनाया। किसानों से कहा गया कि वे अपनी क्षमता अनुसार कुछ गेहूं इस बैंक में दें। इस तरह अब तक 15 ग्राम पंचायतों में 724 क्विंटल गेहूं एकत्र किया जा चुका है। इससे लोगों की मदद भी की गई है।


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