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Financial Crisis: आर्थिक तंगी से जूझ रही राजस्थान सरकार को करनी पड़ रही है खर्च में कमी

financial crisis. आर्थिक तंगी से जूझ रही राजस्थान सरकार को खर्च में कमी करनी पड़ रही है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 12:20 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 12:20 PM (IST)
Financial Crisis: आर्थिक तंगी से जूझ रही राजस्थान सरकार को करनी पड़ रही है खर्च में कमी
Financial Crisis: आर्थिक तंगी से जूझ रही राजस्थान सरकार को करनी पड़ रही है खर्च में कमी

जयपुर, ब्यूरो। देश में चल रही आर्थिक मंदी और पहले से खस्ता माली हालत के चलते राजस्थान सरकार को अब सरकारी खर्च में कमी करनी पड़ रही है। सरकार के वित्त विभाग को मितव्ययिता परिपत्र जारी करना पड़ा है और सभी नए खर्चों पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी गई है। विभागों को सख्त हिदायत दी गई है कि जो बजट दिया गया है, उसी में काम चलाएं। मौजूदा वित्तीय वषर्ष के पहले पांच माह के आंकड़ों की बात करें तो सरकार को करों से होने वाली आय में पिछले वर्ष के मुकाबले काफी कमी है।

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पिछले वर्ष अगस्त तक सरकार को करों से 36 प्रतिशत तक आय हो चुकी थी, जो इस वर्ष 31.86 प्रतिशत ही है, यानी करीब पांच प्रतिशत की कमी है। सरकार की आय का मुख्य स्रोत जीएसटी से होने वाली आय है। इसमें पिछले वर्ष के मुकाबले 10 प्रतिशत की गिरावट है। पिछले वर्ष अगस्त तक जीएसटी से 42.51 प्रतिशत आय हो गई थी, जबकि इस बार जीएसटी से सिर्फ 32.44 प्रतिशत आय हुई है। इसके अलावा स्टांप और रजिस्ट्रेशन तथा बिक्री कर से होने वाली आय में भी कमी है। केंद्रीय करों में से राज्य को मिलने वाला अंश भी करीब दो प्रतिशत कम मिला है। गैर कर राजस्व में भी करीब चार प्रतिशत की कमी है। इस तरह सरकार की कुल प्राप्तियां जो पिछले वर्ष अगस्त तक 38.91 प्रतिशत से ज्यादा थीं, वे इस बार 32.56 प्रतिशत ही हैं।

इस तरह विभिन्न स्रोतों से होने वाली प्राप्तियों में छह प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट है। वहीं, खर्चों की बात की जाए तो अब तक 32 प्रतिशत खर्च हो चुका है, जो पिछले वर्ष से लगभग बराबर है। कुछ मदों में पिछले वर्ष के मुकाबले बहुत ज्यादा खर्च है। जैसे पिछले वर्ष सब्सिडी खर्च 16.69 प्रतिशत था, वह इस बार बढ़कर 19.51 प्रतिशत हो गया है। वेतन और पेंशन का खर्च भी बढ़ा है। सरकार को किसान कर्ज माफी और बेरोजगारी भत्ते जैसे चुनावी वादे पूरे करने के लिए भी काफी व्यवस्थाएं करनी पड़ी हैं। इन सब स्थितियों के कारण ही सरकार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नजर नहीं आ रही है। खर्च कम करने के लिए सरकार ने अपने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि एक जैसी प्रकृति की योजनाओं को चिन्हित कर उन्हें आपस में मर्ज करने के प्रस्ताव तैयार करे।

इस पर सभी विभागों में कवायद चल ही रही है कि इसी बीच वित्त विभाग ने मितव्ययिता परिपत्र भी जारी कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव निरंजन आर्य की ओर से जारी इस परिपत्र में सरकारी विभागों को कहा गया है कि बजट प्रावधानों के अंदर रहते हुए ही काम करें और कोई नए खर्च न करें। कोई काम बहुत ज्यादा जरूरी हो तो मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर ही काम करें। सरकार का यह मितव्ययता परिपत्र राज्यपाल सचिवालय, उच्च न्यायालय, चुनाव विभाग और विधानसभा को छोड़कर पूरी सरकार में लागू होगा।

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