Rajasthan: सरकारी विभागों पर 1200 करोड़ का बिजली बिल बकाया
Electricity Bill. राजस्थान में बिजली उत्पादन से लेकर वितरण तक का काम पांच सरकारी कंपनियों के पास है। ये कंपनियां हजारों करोड़ रुपये के घाटे में हैं।
जयपुर, जेएनएन। राजस्थान में हजारुों करोड़ रुपये के घाटे से जूझ रही सरकारी बिजली कंपनियों के लिए सरकारी विभागों का बकाया बिल बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। पेयजल, नगरीय विकास न्यास और ग्राम पंचायतें तक सरकारी बिजली कंपनियों का बिल नहीं चुका रही हैं और यह बकाया बिल 1200 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है। इस मामले में अब बिजली कंपनियों ने सरकार से दखल देने की गुहार की है।
जनता से जुड़े हुए हैं विभाग, इसलिए नहीं काटते कनेक्शन
राजस्थान में बिजली उत्पादन से लेकर वितरण तक का काम पांच सरकारी कंपनियों के पास है। ये कंपनियां हजारों करोड़ रुपये के घाटे में हैं। केंद्र सरकार की उदय योजना के तहत इन कंपनियों का घाटा राज्य सरकार को वहन करना पड़ता है। आम जनता की ओर से होने वाली बिजली चोरी और अन्य शिकायतों पर तो बिजली कंपनियां कार्रवाई कर लेती हैं और वसूली भी कर लेती हैं, लेकिन सरकार के खुद के विभाग बिजली का बिल नहीं भर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर विभाग जनता से जुड़े हुए हैं और इनकी बिजली काटने का मतलब है कि जनता का परेशान होना, इसलिए बिजली कंपनियां इनके कनेक्शन काटती नहीं है और ये विभाग पैसा जमा कराते नहीं हैं।
आधा दर्जन विभागों का बिल बाकी
हाल ही में तीन बिजली वितरण कंपनियों की जारी रिपोर्ट बताती है कि आधा दर्जन से अधिक बड़े विभागों का बकाया 1200 करोड़ तक पहुंच गया है। इसमें सर्वाधिक 500 करोड़ रुपये अकेले विभिन्न शहरों के नगरीय विकास न्यासों का है। जलदाय विभाग के नाम 304 करोड़, जनता जल योजना के नाम 138 करोड़, विभिन्न ग्राम पंचायतों के नाम 150 और अन्य विभागों के नाम करीब 113 करोड़ रुपये बकाया चल रहे हैं। बिजली कंपनियों के अधिकारी कहते हैं कि सरकारी विभागों के बिल समय पर जमा हों तो घाटे से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। अब बिजली कंपनियां इस मामले को लेकर सरकार से पत्र व्यवहार कर रही है और यह पैसा दिलवाने की गुहार की जा रही है।
प्रीपेड मीटर भी लगाए थे
सरकारी विभागों की ओर से यह समस्या लंबे समय से चल रही है। इस समस्या के समाधान के रूप में प्रीपेड मीटर लगाने की व्यवस्था भी शुरू की गई थी। कई विभागों में प्रीपेड मीटर लगाए भी गए थे, लेकिन समय पर इन्हें रिचार्ज नहीं किया गया। इससे कनेक्शन कटा तो आम जनता को परेशानी होने लगी। इसके चलते यह व्यवस्था बंद कर दी गई।