बढ़ रहे तनाव के कारण 9 माह में 8 पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या की, पुलिस मुख्यालय ने बनाया काउंसलिंग सेंटर
लंबी ड्यृटी अवकाश नहीं मिलने परिवार से दूरी और राजनीतिक व प्रशासनिक दबाव के कारण पुलिसकर्मियों में मानसिक तनाव बढ़ रहा है। पुलिसकर्मियों का तनाव कम करने को लेकर साप्ताहिक अवकाश देने व उनकी ड्यूटी का स्थान एक निश्चित समय में बदलने के निर्णय पर अमल नहीं हो सका है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में पुलिसकर्मी किस तरह से मानसिक तनाव में जी रहे हैं इसका अंदाजा 9 माह में 8 पुलिसकर्मियों की आत्महत्या के प्रकरणों को देख कर लगाया जा सकता है। लंबी ड्यृटी, अवकाश नहीं मिलने, परिवार से दूरी और राजनीतिक व प्रशासनिक दबाव के कारण पुलिसकर्मियों में मानसिक तनाव बढ़ रहा है। पुलिस महकमें के उच्च अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों का तनाव कम करने को लेकर साप्ताहिक अवकाश देने व उनकी ड्यूटी का स्थान एक निश्चित समय में बदलने का निर्णय तो किया था, लेकिन अब तक उस पर अमल नहीं हो सका है।
पुलिसकर्मियों में मानसिक अवसाद को कम करने के लिए पुलिस ने हैल्पलाइन नंबर 0141-2821500 जारी किए हैं। इस पर कोई भी पुलिसकर्मी अथवा उसका परिजन कॉल कर सकेगा। उन्हे इस नंबर से मानसिक अवसाद व तनाव से मुक्ति पाने के लिए सुझाव मिलेंगे। तनावग्रस्त पुलिसकर्मियों की काउंसलिंग की जाएगी। इसके लिए विशेषज्ञ लगाए गए हैं।
पुलिसकर्मियों की आत्महत्या के खास प्रकरण
भरतपुर जिले के उच्चैन पुलिस थाने में तैनात थाना अधिकारी होशियार सिंह ने 12 नवंबर,2020 को आत्महत्या कर ली। उनके बेटे का 20 नवंबर को विवाह था, उच्च अधिकारियों ने उन्हे मांगने पर भी छुट्टी नहीं दी, जिससे वे डिप्रेशन में थे और आखिरकार उन्होंने आत्महत्या कर ली। इसी तरह प्रदेश के सीमावर्ती जिले जैसलमेर के पोकरण में पुलिस कांस्टेबल मायाराम मीणा ने आत्महत्या कर ली थी।
कोटा में तीन पुलिसकर्मियों गोविंद, राधेश्याम मेहता व पवन की मौत हुई। इनकी मौत उच्च रक्तचाप, शुगर लेवल कम होने, हार्ट अटैक और चक्कर आने से हुई। टोंक में कोर्ट परिसर में कांस्टेबल प्रेमचंद गुर्जर ने पेड़ पर फंदा लगाकर आत्महत्या की थी। चूरू जिले के राजगढ़ में पुलिस थाना अधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई ने 23 मई,2020 को अपने सरकारी क्वार्टर में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या की थी। इस मामले में क्षेत्रीय विधायक कृष्णा पूनिया पर अनैतिक दबाव बनाने का आरोप लगा था। भाजपा सहित अन्य विपक्षी नेताओं ने विधायक के खिलाफ धरना भी दिया था। इसके तीन दिन बाद 26 मई को श्रीगंगानगर में कांस्टेबल जसविंद्र सिंह व 29 मई को दौसा में कांस्टेबल गिरिराज ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
गिरिराज ने एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें लिखा था कि काम के प्रेशर, छुट्टी नहीं मिलने के कारण वह तनाव नहीं झेल पा रहा है। बारां जिले के केलवाडा पुलिस थाने में तैनात पुलिसकर्मी रवीना सहरिया ने अपने सरकारी क्वार्टर में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या की थी।