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अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह में नारेबाजी करने पर नाराजगी

विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में सूफी परम्परा के विरुद्ध नारे लगाए जाने पर खादिमों ने नाराजगी जाहिर की है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 12:04 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 12:04 PM (IST)
अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह में नारेबाजी करने पर नाराजगी
अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह में नारेबाजी करने पर नाराजगी

अजमेर,जेएनएन। विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में सूफी परम्परा के विरुद्ध नारे लगाए जाने पर खादिमों ने नाराजगी जाहिर की है। दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के पूर्व सचिव सरवर चिश्ती ने इस बात पर कड़ा ऐतराज जताया है कि दरगाह में अब बरेलवी सिलसिले की गतिविधियां होने लगी हैं।

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चिश्ती ने 2 जनवरी को दरगाह कमेटी के नाजिम शकील अहमद को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि 31 दिसम्बर की रात को जब हजारों अकीदतमंद लोग दरगाह के अंदर जमा थे, तब बरेलवी विचारधारा के लोगों ने दरगाह की सूफी परंपरा के विरुद्ध नारे लगाए। चिश्ती ने पत्र में कहा कि नए वर्ष के मौके पर दरगाह में बड़ी संख्या में हिन्दू और सिख समुदाय के लोग भी मौजूद थे। बरेलवी सिलसिले की नारेबाजी की रिपोर्ट दरगाह कमेटी के जमादार ने भी दी है तथा सीसीटीवी फुटेज में भी देखे जा सकते हैं।

नाजिम को बताया गया कि दो माह बाद ख्वाजा साहब का सालाना उर्स आ रहा है। ऐसे में ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जाए। पूर्व में भी बरेली से ऐलान किया गया कि ख्वाजा साहब की दरगाह पर न जाए। चिश्ती ने पत्र में कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह की परम्पराएं सूफी सिलसिले के अनुरूप हैं। दुनिया में ख्वाजा साहब का अपना एक मुकाम है। ऐसे में दरगाह के अंदर सूफी पंरपरा के अनुरूप ही गतिविधियां होनी चाहिए। दरगाह कमेटी को पत्र भेजने की पुष्टि करते हुए सरवर चिश्ती ने कहा कि दरगाह एक्ट के मुताबिक भी दरगाह की गतिविधियां सूफी सिलसिले के अनुरूप ही होनी चाहिए।

यदि दरगाह में किसी अन्य सिलसिले की गतिविधियां होती है तो यह दरगाह कमेटी केन्द्र सरकार के अधीन काम करती है। इसलिए केन्द्र सरकार की भी यह जिम्मेदारी है कि दरगाह की परंपराओं की रक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि बरेलवी गतिविधियों से ख्वाजा साहब को मानने वाले लोगों में रोष है।

उन्होंने बताया कि 30 दिसम्बर को हैदराबाद में बरेलवी संगठन द्वारा आयोजित दावते इस्लामी के एक कार्यक्रम पर राज्य सरकार ने रोक लगाई थी। उन्होंने कहा कि वह खादिम समुदाय के प्रतिनिधि होने के नाते यह चाहते है कि दरगाह में सुकून कायम रहे। ख्वाजा ने सूफीवाद का जो पैगाम फैलाया आज देश में उसी की जरुरत है। सूफीवाद के माध्यम से ही हम समाज में भाईचारे को बढ़ावा दे सकते हैं। 


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