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राजस्थान भाजपा में मतभेद कम होने के बजाय बढ़े, प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक खेमों में बटी पार्टी

वसुंधरा विरोधी हद पार करने लगे तो आलाकमान ने लगाई लगाम तिवाड़ी के बाद अब मानवेंद्र की वापसी की तैयारी। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पार्टी की गतिविधियों से अलग-थलग करने के लिहाज से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने उनके विरोधियों को एकजुट करना शुरू कर दिया है।

By PRITI JHAEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 01:45 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 01:45 PM (IST)
राजस्थान भाजपा में मतभेद कम होने के बजाय बढ़े, प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक खेमों में बटी पार्टी
राजस्थान भाजपा में मतभेद कम होने के बजाय बढ़े।

जयपुर, नरेन्‍द्र शर्मा। राजस्‍थान भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा आलाकमान की कोशिश के बावजूद नेताओं में मतभेद कम होने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं। हालात यहां तक पहुंच गए कि जिला स्तर के पदाधिकारी और कार्यकर्ता नेताओं के गुटों में बट गए हैं। जिस तरह प्रदेश स्तर के नेता आपस में बटे हुए है, उसी तरह उनके समर्थक नीचले स्तर तक बट गए। कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बजाय भाजपा नेताओं में आपसी संघर्ष चरम पर पहुंच गया है।

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पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पार्टी की गतिविधियों से अलग-थलग करने के लिहाज से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने उनके विरोधियों को एकजुट करना शुरू कर दिया है। पूनिया लगातार वसुंधरा राजे के विरोधियों को संगठन में महत्व देने में जुटे हैं। हालांकि पार्टी आलाकमान ने पूनिया की इस कोशिश पर लगाम लगाने के लिहाज से वरिष्ठ नेताओं की कोर कमेटी गठित की है। पूनिया अब तक वसुंधरा राजे के विरोधियों से मिलकर पार्टी में फैसले ले रहे थे, लेकिन अब कोर कमेटी ही महत्वपूर्ण निर्णय करेगी। पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों को देखा जाए तो पूनिया लगातार वसुंधरा राजे विरोधियों से अपनी निकटता बढ़ा रहे हैं। पहले तो उन्होंने वसुंधरा राजे के कट्टर विरोधी दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी की पार्टी में वापसी कराई।

वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए तिवाड़ी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला था और फिर विधानसभा चुनाव में अपनी अलग पार्टी बनाई थी। लोकसभा चुनाव के दौरान तिवाड़ी ने राहुल गांधी की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली थी। पूनिया ने तिवाड़ी को पार्टी में खुद को मजबूत करने का प्रयास किया। इसके साथ ही उन्होंने वसुंधरा राजे के एक विरोधी राज्यसभा सदस्य डॉ.किरोड़ी लाल मीणा से नजदीकी बढ़ाई और उन्हे संगठन के निर्णयों में महत्व देना शुरू किया। पूनिया की एक कोशिश वसुंधरा राजे के बड़े विरोधी मानवेंद्र सिंह को फिर से पार्टी में शामिल करने की है। दिग्गज भाजपा नेता स्व.जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने वसुंधरा राजे से मतभेद के चलते पार्टी छोड़ी और कांग्रेस में शामिल हुए थे। मानवेंद्र सिंह ने वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह के खिलाफ झालावाड़ संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था,हालांकि वे हार गए थे। अब पूनिया उन्हे भाजपा में शामिल कर मुख्य धारा में रखना चाहते हैं। पूनिया लगातार इस कोशिश में जुटे हैं कि वसुंधरा राजे के समर्थक पार्टी में कमजोर हो।

उधर, वसुंधरा राजे के समर्थक विधायक और संगठन के पदाधिकारी लगातार सक्रिय हैं। ये सभी अपने समर्थकों को सक्रिय कर रहे हैं। इनकी कोशिश है कि पार्टी आलाकमान तक यह संदेश पहुंचाया जाए कि प्रदेश में वसुंधरा राजे ही एकमात्र विकल्प है।

उधर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया वसुंधरा राजे के तो खिलाफ है, लेकिन पूनिया को अपना नेता मानने को तैयार नहीं है। मार्च के अंत या अप्रैल के प्रारंभ में चार विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। चुनाव में इस गुटबाजी का असर नहीं हो आलाकमान इस कोशिश में जुटा है ।


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