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Rajasthan: कोरोना के इलाज के निर्णय में देरी पड़ सकती है भारी, दस की हो चुकी है मौत

Coronavirus चिकित्सा विभाग द्वारा कराए गए सोशल ऑडिट में सामने आया है कि राजस्थान में दस मामले ऐसे आए हैं जहां उपचार के बारे में फैसला करने में देरी मौत का कारण बन गई।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 04:05 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 04:05 PM (IST)
Rajasthan: कोरोना के इलाज के निर्णय में देरी पड़ सकती है भारी, दस की हो चुकी है मौत
Rajasthan: कोरोना के इलाज के निर्णय में देरी पड़ सकती है भारी, दस की हो चुकी है मौत

राज्य ब्यूरो, जयपुर। Coronavirus: कोरोना संक्रमण के लक्षण सामने आते ही इसके उपचार के बारे में तुरंत निर्णय करना जरूरी है। इस मामले में देरी जानलेवा हो सकती है। चिकित्सा विभाग द्वारा कराए गए सोशल ऑडिट में सामने आया है कि राजस्थान में दस मामले ऐसे आए हैं, जहां उपचार के बारे में फैसला करने में देरी मौत का कारण बन गई। दरअसल, राजस्थान में अब तक 78 ऐसे मरीज सामने आए हैं, जो मृत अवस्था में अस्पताल लाए गए थे। ये वो मरीज थे, जिनकी या तो घर पर मौत हो गई थी या अस्पताल लाते समय रास्ते में मौत हुई है। राजस्थान में चिकित्सा विभाग द्वारा इन मौतों का सोशल ऑडिट कराया जा रहा है।

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अब तक 78 में से 41 मौतों की रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 41 में से 10 मरीज ऐसे हैं, जिनके उपचार के निर्णय में देरी की गई और इसके चलते इनकी मौत हो गई। वहीं पांच ऐसे भी हैं, जो साधन के अभाव में समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए और रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। पांच ऐसे थे, जिनकी मौत कोरोना के अलावा अन्य कारणों से हुई, लेकिन मौत के बाद वे पाॅजिटिव पाए गए। वहीं, किसी भी तरह की देरी न होने के बावजूद 16 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा पांच ऐसे थे, जो भिखारी थे और मृत अवस्था में अस्पताल लाए गए थे।

दरअसल, कोरोना के मामले में समय पर रिपोर्टिंग नहीं होना संक्रमण फैलने की बड़ी वजह माना जा रहा है। लक्षण सामने आने के बाद भी लोग सामाजिक बहिष्कार या अस्पताल में अकेले रहने के डर और अन्य कारणें से जांच कराने से बचते हैं और यह कई मामलों में मौत का कारण बन जाता है। यह सोशल ऑडिट भी इसी उद्देश्य से कराया गया थी कि यह पता लग सके कि वास्तविक कारण क्या रहे और लोगों में किस तरह की हिचक या डर है। सोशल ऑडिट के लिए ब्लाॅक स्तर पर आशा कार्यकर्ता, एएनए, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मृत्यु के समय मरीज के साथ रहे परिजन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, संबंधित चिकित्सा अधिकारी प्रभारी, महिला अध्यापिका, पंच या ग्राम सेवक में से तीन लोगों की एक समिति बनाई गई है।

यह समिति ग्राम पंचायत या संबंधित मरीज की जहां मृत्यु हुई है, वहां मौत के तीसरे से चौथे सप्ताह के बीच बैठक कर सोशल ऑडिट कर रही है। समिति यह पता लगा रही है कि किस तरह की देरी के कारण यह मौत हुई। इसके लिए समिति को छह विकल्प दिए गए हैं। इनमें निर्णय में देरी, साधन मिलने में देरी, उपचार मिलने में देरी, कोई देरी नहीं हुई, कोरोना के अलावा किसी कारण से मौत या कोई अन्य कारण शामिल है। 


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