Jaipur 2008 Blast: गुनहगारों को इन्होंने फांसी तक पहुंचाया, जेल में ऐसे बीती दोषियों की रात
Jaipur 2008 Blast. बम धमाकों के दोषियों की सजा से पहली वाली रात जयपुर सेंट्रल जेल में बेहद तनाव भरी गुजरी।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Jaipur 2008 Blast.11 साल सात महीने आठ दिन बाद आखिरकार जयपुर बम धमाके के चार को दोषियों को फांसी की सजा सुना दी गई। आरोपितों को सजा तक पहुंचाने में तीन किरदारों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इन्होंने ऐसे निभाया अपना फर्जः
1. जज अजय कुमार शर्मा
जयपुर ब्लास्ट कोर्ट के मौजूदा जज अजय कुमार शर्मा की नियुक्ति यहां पिछले साल छह अक्टूबर, 2018 को हुई थी। उन्होंने 14 महीने के अपने कार्यकाल में मामले की नियमित सुनवाई की। दिवाली की छुट्टी में भी सुनवाई की और कोई अवकाश नहीं लिया। गवाहों के बयानों के लिए लंबी तारीखें नहीं दीं और कम समय में जिरह करवाई। जज शर्मा 31 जनवरी, 2020 को सेवानिवृत हो रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जयपुर के गुनहगारों को फांसी तक पहुंचाने के लिए 750 गवाहों के बयान दर्ज किए। उनसे पहले 12 जजों ने इस मामले की सुनवाई की।
2. आइपीएस अफसर राघवेंद्र सुहासा
आइपीएस अधिकारी जयपुर ब्लास्ट के समय पुलिस अधीक्षक के पद पर थे। इनके सुपरविजन में ही पहली एसआइटी गठित की थी। देश में पहली बार राजस्थान सरकार ने एसआइटी बनाई। इन्होंने पहले आरोपित को यूपी से गिरफ्तार किया था। इनकी टीम में शामिल राजेन्द्र नैन ने ही पता लगाया था कि धमाके में इस्तेमाल साइकिल कहां से खरीदी गई। इसी आधार पर स्केच बने। गिरफ्तारी के बाद पहली चार्जशीट अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रहते हुए महेन्द्र सिंह चाैधरी ने ही पेश की थी। सुहासा और उनकी टीम के सदस्यों ने शुक्रवार को दोषियों को सजा सुनाए जाने के बाद अपनी मेहनत को सफल बताया।
3. विशेष लोक अभियोजक श्रीचंद
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक श्रीचंद ने भी आरोपितों को सजा दिलवाने के लिए 800 पन्नों की लिखित बहस की। उन्होंने मामले में आरोपितों की भूमिका को गवाहों से बहस कर सत्यापित किया और अपनी दलीलाें के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की नजीरें पेश कीं। सुबूतों से साबित किया कि इन्हीं ने विस्फोट किए थे।
जेल में ऐसे बीती दोषियों की रात
बम धमाकों के दोषियों की सजा से पहली वाली रात जयपुर सेंट्रल जेल में बेहद तनाव भरी गुजरी। चारों दोषियों को जेल मैनुअल के हिसाब से ही खाना और अन्य सुविधा दी गई। जेल सूत्रों के अनुसार, गुरुवार रातभर चारों दोषी नहीं सोए। पूरी रात अपनी बैरक में चक्कर लगाते रहे। उनके चेहरे पर उदासी साफ नजर आ रही थी। शुक्रवार को जब उन्हें जेल से सुरक्षा के बीच कोर्ट ले जाने के लिए गाड़ी में बिठाने के लिए सुरक्षाकर्मी उनके पास पहुंचे तो काफी देर तक वे अपनी बैरक से ही बाहर नहीं निकले। बाद में अधीक्षक ने वहां पहुंचकर उन्हे गाड़ी तक पहुंचाया।
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