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Deer: राजस्थान में हिरणों के लिए आफत बनी राहत की बरसात Jodhpur News

Rain in Rajasthan. बरसात के बाद रेतीले धोरों में पांवों के धंस जाने से आसानी से हिरण श्वानों का शिकार बन जाते हैं और बाद में सदमे से इनकी मौत हो जाती है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 09 Aug 2019 02:26 PM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 02:26 PM (IST)
Deer: राजस्थान में हिरणों के लिए आफत बनी राहत की बरसात Jodhpur News
Deer: राजस्थान में हिरणों के लिए आफत बनी राहत की बरसात Jodhpur News

रंजन दवे, जोधपुर। राहत की बरसात बेजुबान हिरणों के लिए आफत का सबब बन गई है। जोधपुर में बरसात के दौरान श्वानों द्वारा काटे जाने के मामलों में प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। बड़ी संख्या में हिरणों की मौत का कारण श्वानों का काटना है। बरसात के बाद रेतीले धोरों में पांवों के धंस जाने से आसानी से हिरण श्वानों का शिकार बन जाते हैं और बाद में सदमे से इनकी मौत हो जाती है। जोधपुर के मंचीय सफारी रेस्क्यू सेंटर में प्रतिदिन 15 से अधिक हिरण ला जा रहे हैं। इनकी बाद में मौत हो जाती है।

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जोधपुर के ग्रामीण क्षेत्रों से श्वानों के काटने से घायल होकर प्रतिदिन करीब पंद्रह चिंकारे आ रहे हैं। इनमें से 30 प्रतिशत ही बच पाते हैं। इधर, चिंकारा प्रजाति के हिरणों की मौत पर वन्य जीव प्रेमियों ने रोष जताया है।

दरअसल, पिछले दिनों बारिश के मौसम में कुत्तों के काटे जाने व अन्य कारणों से घायल हिरणों को माचिया सफारी पार्क के रेस्क्यू सेंटर में भर्ती करवाया गया था। इनमें से पंद्रह से अधिक हिरणों की मौत हो गई। ये हिरण चिंकारा प्रजाति के बताए गए हैं। इन मौतों पर विश्नोई टाइगर फोर्स के अध्यक्ष रामपाल भवाद सहित अन्य वन्य जीव प्रेमियों ने रोष जताया और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया।

भवाद ने जिले में घायल वन्यजीवों के रेस्क्यू करने व शिकार प्रकरणों की रोकथाम करने के लिए अलग से उप वन संरक्षक पदस्थापना करने की मांग की। साथ ही इलाज के दौरान मृत चिंकारा, कृष्ण मृगों का अंतिम संस्कार विधिवत करने के लिए अलग से वाहन व कर्मचारी नियुक्त करने की मांग की।

जानें, क्यों होती है बरसात में हिरणोें की सर्वाधिक मौतें 

वन्य जीव चिकित्सक डॉ. श्रवणसिंह का कहना है कि बारिश के दौरान मिट्टी गीली हो जाती है। खेतों में बुवाई भी की जाती है। ऐसे में हिरण गीली और खुदी हुई मिट्टी में भाग नहीं पाते हैं और श्वानों का शिकार हो जाते हैं। हालांकि किसानों ने भी खेतों की रखवाली के लिए कुत्तों को पाल रखा है। खेतों के चारों तरफ कांटेदार तारों से बाड़बंदी की गई होती है। इस कारण से भी हिरण घायल हो जाते हैं। साथ ही, हिरण का स्वभाव बड़ा संवेदनशील होता है। इस कारण से सदमे से भी उनकी हृदयगति रुक जाती है। स्थानीय ग्राम पंचायत व निकायों को वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्रों से आवारा कुत्तों की जनसंख्या कम करने के सार्थक प्रयास करने चाहिए।

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