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Smart Dustbin: सीटीएई के छात्रों ने बनाया स्मार्ट डस्टबीन, नाम रखा “स्वस्थम”, भरते ही नगर निगम को करेगा सूचित

Smart Dustbin प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय में इलेक्ट्रोनिक एवं संचार अभियांत्रिकी शाखा की छात्रा प्रियंका पाण्डेय आदित्य कुमावत तथा सूर्य प्रताप सिंह भाटी ने मिलकर स्मार्ट डस्टबीन तैयार किए हैं। जिसमें उन्हें विभागाध्यक्ष डॉ. नवनीत अग्रवाल का सहयोग मिला।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraPublished: Sun, 29 Jan 2023 10:12 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jan 2023 10:12 PM (IST)
Smart Dustbin: सीटीएई के छात्रों ने बनाया स्मार्ट डस्टबीन, नाम रखा “स्वस्थम”, भरते ही नगर निगम को करेगा सूचित
उच्चतम तय सीमा तक भरते ही नगर निगम को खाली करने के लिए करेगा सूचित

उदयपुर, जागरण संवाददाता। यहां महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संगठक प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय के तीन विद्यार्थियों ने ऐसा स्मार्ट डस्टबीन तैयार किया है, जो उसके भरने पर खुद-ब-खुद नगर निगम को सूचित कर देगा। इस तरह के स्मार्ट डस्टबीन यदि भविष्य में लगाए जाते हैं तो शहरों को डस्टबीन के आसपास फैलने वाले कचरे से निजात मिलेगा।

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स्मार्ट डस्टबीन का नाम स्वस्थ्यम दिया गया

प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय में इलेक्ट्रोनिक एवं संचार अभियांत्रिकी शाखा की छात्रा प्रियंका पाण्डेय, आदित्य कुमावत तथा सूर्य प्रताप सिंह भाटी ने मिलकर स्मार्ट डस्टबीन तैयार किए हैं। जिसमें उन्हें विभागाध्यक्ष डॉ. नवनीत अग्रवाल का सहयोग मिला।

इन्होंने यह स्मार्ट डस्टबीन “स्वस्थम-स्मार्ट अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली” के आधार पर तैयार किए हैं और उनके द्वारा तैयार डस्टबीन को नाम भी स्वस्थ्यम दिया है। इन्हें तैयार कर पहले इनका परीक्षण कॉलेज परिसर में लगाकर किया और उन्हें अपने काम में पूरी सफलता मिली।

अब उनका सुझाव है कि शहरों या कस्बों मेंं उनकी तकनीक आधारित डस्टबीन ऐसे जगह लगाई जा सकती हैं, जहां कचरा फैलता हो। इसके बाद जैसे ही वह भरने लगेंगे, उसकी सूचना संबंधित नगर निगम या संस्था को पहुंच जाएगी। जिसके बाद उसके पूरा भरकर ओवरफ्लो होने से पहले ही खाली किया जा सकेगा।

इसे ईजाद करने वाले स्टूडेंट्स का कहना है कि इन्टरनेट आफ थिग्ंस (आई. ओ. टी.) का प्रयोग करते हुए कचरा पात्र में एकत्रित हुए कचरे के उच्चतम भरने पर अपने आप संदेश संबंधित व्यक्ति या संस्था तक पहुंच जागएा।

उन्होंने बताया कि सिस्टम के बिन लेवल को 0 परसेंट से 100 परसेंट पर कही भी सेट किया जा सकता है। ऐसे डस्टबीन यदि उपयोग में लिए जाएं तो कचरा फैलने की समस्या का समाधान ही नहीं होगा, बल्कि हम स्वच्छ भारत मिशन की ओर एक अहम कदम बढ़ा पाएंगे।

डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि इस नई खोज को इंडियन पेटेंट के लिये भी आवेदन कर दिया गया है। विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्णाटक ने स्मार्ट डस्टबीन तैयार किए जाने पर पूरी टीम की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे डस्टबीन के उपयोग किए जाने के बाद शहर वाकई में स्मार्ट हो जाएंगे।

ऐसे की गई टेस्टिंग, अब निकायों को भेजेंगे सुझाव

सीटीएई कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ.पीके सिंह का कहना है कि टेस्टिंग के लिए कॉलेज के तीन अलग-अलग लोकेशन पर स्मार्ट डस्टबीन लगाए गए। बिन्स(नोड्स) को एक किलोमीटर कि रेंज मे इनस्टॉल किया जिन्हें एक सेंट्रल नोड की सहायता से कंट्रोल किया गया। उन्होंने बताया कि नंबर आफ नोड्स जितने चाहें, उतने बढ़ाए जा सकते हैं।

सेंट्रल कंट्रोल यूनिट को एक लैपटॉप की सहायता से जोड़कर सभी डस्टबीन को जीपीएस लोकेशन और उनके फिल लेवल की मोनिटरिंग की गई। ये सारी आब्जरवेशन यूजर अपने मोबाइल पर भी ट्रेक करता रहा। वे बताते है कि निकायों और पंचायतों को सुझाव भेजे जाएंगे।

यदि नगर निगम उदयपुर स्मार्ट डस्टबीन उपयोग लेगा तो शहर में कचरा फैलने की समस्या से निजात मिलेगी। इसी तरह पंचायतों को भी प्रस्ताव भेजे जाएंगे ताकि वहां भी कचरा फैलने की समस्या नहीं हो।

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