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कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री की आवाज के नमूने लेने की अनुमति नहीं दी, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का प्रार्थना पत्र खारिज

न्यायालय की टिप्पणी-अनुसंधान अधिकारी ने कोर्ट को टूल बनाकर अनुसंधान पूरा करने की मंशा से प्रार्थना पत्र पेश। शेखावत की आवाज के नमूने लेना चाहती है ब्यूरो। आदेश तभी दिया जाता है जब गिरफ्तारी हो पीठासीन अधिकारी।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 10:31 PM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 10:31 PM (IST)
कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री की आवाज के नमूने लेने की अनुमति नहीं दी, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का प्रार्थना पत्र खारिज
टिप्पणी करते हुए पीठासीन अधिकारी ने कहा कि यह स्वीकार करने योग्य नहीं है। इस मामले में ऐसा नहीं है।

 जागरण संवाददाता, जयपुर : जयपुर के अधीनस्थ न्यायालय ने राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के उस प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह की आवाज के नमनू लेने को लेकर निर्देशित करने का आग्रह किया गया था। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि अनुसंधान अधिकारी ने कोर्ट को टूल बनाकर अनुसंधान पूरा करने की मंशा से प्रार्थना पत्र पेश किया है ।

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शेखावत की आवाज के नमूने लेना चाहती है ब्यूरो

दरअसल,पिछले साल राज्य में कांग्रेस के सियासी संकट के दौरान सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए शेखावत व जयपुर निवासी संजय जैन के खिलाफ ब्यूरो और एसओजी में मामला दर्ज करवाया था । ब्यूरो जांच को आगे बढ़ाने के लिए शेखावत की आवाज के नमूने लेना चाहती है।

पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया

ब्यूरो की तरफ से शेखावत को इस संबंध में नोटिस भी भेजा गया था । शेखावत द्वारा आवाज के नमून नहीं देने पर जयपुर महानगर द्वितीय क्षेत्र के किराया अधिकरण के पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था । ब्यूरो से जुड़े मामलों की यहीं सुनवाई होती है।

आदेश उसी परिस्थिति में दिया जाता जब गिरफ्तारी हो

प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए पीठासीन अधिकारी ने कहा कि यह स्वीकार करने योग्य नहीं है। कानूनी प्रावधान के अनुसार आवाज के नमूने लेने या स्वास्थ्य परीक्षण के लिए उपस्थित होने का आदेश उसी परिस्थिति में दिया जाता है जब व्यक्ति गिरफ्तार किया गया हो । पीठासीन अधिकारी ने कहा कि इस मामले में ऐसा नहीं है।

कोर्ट को टूल बनाकर जांच की मंशा से प्रार्थना पत्र पेश

उन्होंने कहा,अनुसंधान अधिकारी की ओर से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करना दर्शाता है कि इसे कोर्ट को टूल बनाकर जांच पूरी करने की मंशा से पेश किया गया है। पीठासीन अधिकारी ने इस मामले की पूरी फाइल बंद लिफाफे में जयपुर स्थित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मामलों के विशिष्ट न्यायालय क्रम संख्या 1 को भेज दी ।


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