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कोर्ट ने 7 साल पहले पकड़े 12 लोगों को आतंकी माना, आजीवन कारावास, एक को बरी किया

आतंकी माने गए लोगों में 9 इंजीनियरिंग के स्टूडेंट थे जो इंडियन मुजाहिदीन के लिए काम करते थे। आतंकी माने गए लोगों में राजस्थान में सीकर के 6 जोधपुर के 3 और जयपुर व पाली के 1-1 शामिल है। एक बिहार का जिसे बरी किया वह जोधपुर का निवासी है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 07:07 PM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 07:07 PM (IST)
कोर्ट ने 7 साल पहले पकड़े 12 लोगों को आतंकी माना, आजीवन कारावास, एक को बरी किया
जयपुर जिला सत्र न्यायालय के जज उमाशंकर व्यास ने लंबी सुनवाई के बाद मंगलवार को फैसला सुनाया।

 जागरण संवाददाता, जयपुर : जयपुर की एक कोर्ट ने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के लिए काम करने वाले 12 लोगों को आतंकी माना है। इन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। वहीं एक को बरी कर दिया ।आतंकी माने गए लोगों में 9 इंजीनियरिंग के स्टूडेंट थे जो इंडियन मुजाहिदीन के लिए काम करते थे । इन्हे साल,2014 में राजस्थान एटीएस और एसओजी ने गिरफ्तार किया था । आतंकी माने गए लोगों में राजस्थान में सीकर के 6, जोधपुर के 3 और जयपुर व पाली के 1-1 शामिल है। एक बिहार का है । जिसे बरी किया गया वह जोधपुर का निवासी है ।

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जयपुर,सीकर,जोधपुर व पाली से 13 संदिग्ध पकड़े

आतंकी स्लीपर सेल से जुड़ा यह मामला करीब 7 साल पुराना है । उस समय दिल्ली में गिरफ्तार हुए आतंकियों से पूछताछ में मिले इनपुट के आधार पर राजस्थान एटीएस और एसओजी ने जयपुर,सीकर,जोधपुर व पाली से 13 संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया था । इन पर आरोप था कि ये आतंकी संगठन से जुड़े हुए हैं और राजस्थान में इसकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं । ये बम बनाने जैसे काम भी करते हैं ।

एटीएस व एसओजी ने संयुक्त कार्रवाई कर पकड़ा

एटीएस का दावा था कि सिमी की स्लीपर सेल को एक्टिव करने के लिए जयपुर से गिरफ्तार किए गए मारूफ ने अपने रिश्तेार उमर के साथ मिलकर इंटरनेट के माध्यम से अन्य लोगों को अपने साथ जोड़ा था । ये किसी साजिश का अंजाम दे पाते उससे पहले ही एटीएस और एसओजी ने संयुक्त कार्रवाई कर इन्हे पकड़ लिया ।

7 साल तक कोर्ट में ट्रायल चला, दस्तावेज व सुबूत पेश

इस मामले में 7 साल तक कोर्ट में ट्रायल चला । इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से 178 गवाह और 506 दस्तावेज सहित अन्य सबूत पेश किए । सरकारी वकील लियाकत खान ने पैरवी की । दिल्ली एटीएस की सूचना पर राजस्थान एटीएस ने इनके खिलाफ 28 मार्च,2014 को मामला दर्ज किया था ।

उमाशंकर व्यास ने लंबी सुनवाई के बाद सुनाया फैसला

इन पर आरोप था कि इन्होंने फर्जी दस्तावेजों से मोबाइल की सिम खरीदी,जिहाद के नाम पर फंड जुटाने का काम किया,बम विस्फोट के लिए रेकी की और आतंकियों को शरण देने जैसे काम किया । इनके पास से इलेक्ट्रॉनिक सामान,लैपटॉप,पेन ड्राइव,कई मोबाइल फोन बरामद किए थे । जयपुर जिला सत्र न्यायालय के जज उमाशंकर व्यास ने लंबी सुनवाई के बाद मंगलवार को फैसला सुनाया ।


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