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Bear Sanctuary: राजस्थान में बनेगा देश का चौथा और सूबे का पहला भालू अभयारण्य

Bear Sanctuary In Rajasthan. भालू अभ्यारण्य को सुंधा माता क्षेत्र में करीब 444 वर्ग किलोमीटर में विकसित किया जाएगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 04:16 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 04:16 PM (IST)
Bear Sanctuary: राजस्थान में बनेगा देश का चौथा और सूबे का पहला भालू अभयारण्य
Bear Sanctuary: राजस्थान में बनेगा देश का चौथा और सूबे का पहला भालू अभयारण्य

जागरण संवाददाता, जयपुर। Bear Sanctuary In Rajasthan. राजस्थान के जालौर और सिरोही जिलों में भालू अभ्यारण्य बनाया जाएगा। यह प्रदेश का पहला और देश का चौथा भालू अभ्यारण्य होगा। भालू अभ्यारण्य को सुंधा माता क्षेत्र में करीब 444 वर्ग किलोमीटर में विकसित किया जाएगा।

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भालू अभ्यारण्य सिरोही जिले की माउंट आबू संरक्षित क्षेत्र के 326 वर्ग किलोमीटर और जालौर के संधुा माता कंजरवेशन रिजर्व के 117.49 वर्ग किलोमीटर के जंगल को मिलाकर बनाया जाएगा। इस इलाके में काफी जंगल होने के साथ ही भालूओं की संख्या भी बहुत है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि माउंट आबू संरक्षित क्षेत्र के जंगल में 352 भालू हैं। वहीं, संरक्षित क्षेत्र के बाहर जालौर जिले में 58 और सिरोही जिले में 63 भालू मौजूद हैं। इन दोनों इलाकों में भालू के अलावा पैँथर, भेडिये, लकडबग्घा और चिंकारा आदि वन्यजीव भी काफी संख्या में हैं।

इस इलाके में इन वन्यजीवों के लिए भोजन को लेकर किसी प्रकार की समस्या नहीं है। वैसे तो प्रदेश के रणथंभौर, सरिस्का और मुकंदरा हिल्स आदि सेंचुरी में भालुओं की संख्या अच्छी खासी है। लेकिन उसके बावजूद भालुओं का गढ़ हमेशा से ही माउंट आबू को माना जाता रहा है। माउंट आबू प्रदेश का एकमात्र पवर्तीय पर्यटन स्थल है। वन और पर्यटन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि अब भालू अभ्यारण्य बनने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी होगी। इससे सिरोही और जालौर दोनों जिलों के लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

पहले मदारी खेल दिखाते थे

एक दौर था, जब जंगल के सबसे ज्यादा बालों वाले जीव भालू का वजूद सिर्फ मदारी के डमरू तले दबकर रह गया था। लेकिन बाद में मदारियों पर भालू रखने और उसका तमाशा दिखाने पर पाबंदी लग गई। लेकिन फिर भी भालू जंगल में संरक्षण के लिए तरसता रहा। टाइगर के मुकाबले भालू को सरकारी संरक्षण नहीं मिल सका। लोगों का भी लगाव खत्म हो गया। अब इसके लिए अलग से अभ्यारण्य बनने के बाद इनकी स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है। वन्यजीवों के संरक्षण के तहत राज्य सरकार ने जयपुर के झालाना में लेपर्ड कंजरवेंसी बनाई है।

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