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इम्यूनिटी बूस्टर लहसुन के बढ़े भावों ने किसानों को किया खुश, आयुर्वेद चिकित्सक कोरोना काल में दे रहे लहसुन खाने की सलाह

औषधियों में उपयोग के लिए कंपनियां लहसुन बड़े स्तर पर खरीद रही है। वहीं इम्यूनिटी बूस्टर होने के कारण घरों में भी लहसुन की खपत बढ़ी है। आयुर्वेद में लहसुन को बेहद लाभकारी माना गया है चिकित्सक कोरोना काल में लोगों को लहसुन खाने की सलाह दे रहें हैं।

By PRITI JHAEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 10:32 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 10:32 AM (IST)
इम्यूनिटी बूस्टर लहसुन के बढ़े भावों ने किसानों को किया खुश, आयुर्वेद चिकित्सक कोरोना काल में दे रहे लहसुन खाने की सलाह
लहसुन को इम्यूनिटी बूस्टर माना जाता है।

जयपुर, जागरण संवाददाता। दो साल पहले राजस्थान के किसानों को रूलाने वाला लहसुन इस बार मंडियों में 125 से 140 रुपया प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। कोरोना काल में लहसुन की बढ़ी हुई मांग के चलते किसान और कारोबारी खुश हैं। लहसुन को इम्यूनिटी बूस्टर माना जाता है। इस कारण कोरोना काल में इसकी मांग बढ़ी है। बढ़ी हुई मांग के कारण लहसुन के दाम आसमान छू रहे हैं।

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दो साल पहले तक हालात यह थे कि ज्यादा पैदावार होने के कारण लहसुन को ग्राहक नहीं मिल रहे थे। मात्र 20 रुपया प्रति किलो के भाव से लहसुन बिका था, मजबूरी में किसानों को फेंकना पड़ा था। सबसे अधिक खराब हालात कोटा, बारां व झालावाड़ जिलों में हुए थे। इन जिलों में लहसुन के दाम नहीं मिलने के कारण पांच किसानों ने आत्महत्या की थी। मंडी व्यापारियों का कहना है कि दो साल पहले उन्होंने लहसुन 20 रुपया प्रति किलो के हिसाब से किसान से खरीदकर 40 रुपए में बेचा था, लेकिन इस बार 115 रुपया प्रति किलो थोक में खरीद कर 125 से 140 के भाव से बेच रहे हैं।

उन्होंने बताया कि औषधियों में उपयोग के लिए कंपनियां लहसुन बड़े स्तर पर खरीद रही है। वहीं, इम्यूनिटी बूस्टर होने के कारण घरों में भी लहसुन की खपत बढ़ी है। आयुर्वेद में लहसुन को बेहद लाभकारी माना गया है जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के चिकित्सक कोरोना काल में लोगों को लहसुन खाने की सलाह दे रहें हैं। इन चिकित्सकों का कहना है कि लहसुन को वात एवं कफ का शामक भी माना गया है। लहसुन जीवाणुयुक्त और विषाणुजनित भी होता है, लिहाजा कोरोना जैसी विषाणुजनित बीमारी से बचाव व इलाज में लाभकारी साबित होता है। इसके साथ ही लहसुन एंटी ऑक्सीडेंट भी है। बीपी और हृदय रोगों में यह लाभकारी माना जाता है।

जयपुर की मुहाना मंडी में अपनी उपज बेचने पहुंचे किसानों का कहना है कि कोटा, बूंदी, झालावाड़ व बारां में लहसुन की खेती होती है। पिछले सालों के मुकाबले इस साल लहसुन की मांग बढ़ी है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस बार लहसुन की बुवाई एक लाख हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में हुई है, जबकि पिछले साल 91 हजार हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस बार प्रदेश में करीब 6 लाख मैट्रिक टन लहसुन की पैदावार होने का अनुमान है। 


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