भाजपा से मुकाबले से पहले आपस में उलझ रहे कांग्रेसी नेता
मेरा बूथ, मेरा गौरव अभियान कांग्रेस नेतृत्व की मंशा से भटक कर मेरा टिकट अभियान के रूप में तब्दील हो गया है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। विधानसभा चुनाव से पूर्व पोलिंग बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए राजस्थान में कांग्रेस का "मेरा बूथ,मेरा गौरव "अभियान अपने मकसद से भटक रहा है।"मेरा बूथ,मेरा गौरव अभियान " कांग्रेस नेतृत्व की मंशा से भटक कर "मेरा टिकट अभियान "के रूप में तब्दील हो गया है।
लिहाजा चुनावी साल में गुटबाजी और आपसी लड़ाई कांग्रेस की सत्ता वापसी के प्रयासों में रोड़ा बन सकती है। चुनाव में भाजपा के पोलिंग बूथ मैनेजमेंट का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने राज्य के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में "मेरा बूथ,मेरा गौरव " अभियान के तहत सम्मेलन आयोजित कर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की रणनीति बनाई थी।
इस रणनीति के तहत अब तक हुए 150 सम्मेलनों में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे,कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विवेक बंसल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए है। कुछ सम्मेलनों में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन)अशोक गहलोत और डॉ.सी.पी.जोशी भी शामिल हुए। इन दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस का गौरव सड़कों पर दिखाई दिया। सम्मेलन स्थानीय नेताओं के शक्तिप्रदर्शन का केन्द्र बन गए।
टिकट के दावेदार नेताओं और उनके समर्थकों के बीच कई सम्मेलनों में हाथापाई भी हुई। जयपुर जिले के शहरपुरा विधानसभा क्षेत्र में आयोजित सम्मेलन में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव संदीप वर्मा और पूर्व राज्यपाल श्रीमती कमला के समर्थक आपस में भीड़ गए। श्रीमती कमला के समर्थकों ने संदीप चौधरी की पिटाई करने के साथ ही कपड़े फाड़ दिए । इसी तरह नागौर जिले के डीडवाना में दो गुटों के बीच जमकर हाथापाई हुई।
पाली जिले के सुमेरपुर में प्रदेश की पूर्व मंत्री श्रीमती बीना काक और रंजु रामावत के समर्थकों के बीच विवाद हुआ,वहीं चुरू जिले के तारानगर में पूर्व सांसद नरेन्द्र बुड़ानिया के हाथ से माइक छिनने के साथ ही अभद्र व्यवहार किया गया । सवाई माधोपुर में दानिश अबरार और उनके विरोधियों के बीच हाथापाई हुई।
जयपुर के किशनपोल में आयोजित सम्मेलन में पूर्व महापौर ज्योति खण्ड़ेलवाल और पूर्व सांसद महेश जोशी एवं अश्क अली टांक के समर्थकों के बीच विवाद हुआ। इस तरह के विवाद 60 विधानसभा क्षेत्रों के सम्मेलनों में हो चुके है।