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Rajasthan: गर्भवती महिला को कंधे पर लादकर छह किमी पैदल चले, ढाई घंटे बाद पहुंचे अस्पताल

Rajasthan राजस्थान के उदयपुर में एक गर्भवती महिला को कंधे पर लादकर ग्रामीण करीब छह किलोमीटर तक पैदल चले। इसके बाद वो करीब ढाई घंटे के बाद अस्पताल पहुंचे। प्रसव के बाद जच्चा और बच्चा दोनों सकुशल हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 09:31 PM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 09:31 PM (IST)
Rajasthan: गर्भवती महिला को कंधे पर लादकर छह किमी पैदल चले, ढाई घंटे बाद पहुंचे अस्पताल
गर्भवती महिला को कंधे पर लादकर छह किमी पैदल चले, ढाई घंटे बाद पहुंचे अस्पताल। फाइल फोटो

उदयपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान में उदयपुर के अंबाल गांव में मंगलवार देर रात एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। ऐसे में उसे अस्पताल ले जाना था, लेकिन वहां तक एंबुलेंस तो दूर किसी तरह का वाहन आना संभव नहीं था। ऐसे में उसे कंधे पर उठाकर छह किलोमीटर तक पहाड़ी रास्ते से ले जाया गया। बाद में उसे तीस किलोमीटर दूर के अस्पताल ले गए। इस बीच, वह ढाई घंटे तक तड़पती रही। इस तरह रात ढाई बजे वह अस्पताल पहुंची। प्रसव के बाद जच्चा और बच्चा दोनों सकुशल हैं। उदयपुर जिले के अंबाल गांव के भैराराम की पत्नी दीना को बीती रात लगभग बारह बजे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी। भैराराम जिस गांव में रहता है, वहां पक्का रास्ता नहीं है और ऐसे में ग्रामीण पहाड़ी कच्चे रास्तों से होकर ही आया जाया करते हैं। मध्यरात्रि को अचानक शुरू हुई प्रसव पीड़ा से दीना बुरी तरह तड़पने लगी तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए चद्दर और कंबलों का बड़ा झोला तैयार किया गया। जिसमें उसे बिठाने के बाद लंबी मोटी लकड़ी से कंधे पर लादकर उसे ले जाया गया।

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छह किलोमीटर का पहाड़ी ऊबड़-खाबड़ रास्ता पार करने में लगभग दो घंटे लग गए, इसके बाद पक्का मार्ग आया। छह किमी तक सभी ने बराबर कंधा देकर पहाड़ पार किया। पहाड़ पार कर बमुश्किल टेपूर पहुंचे। यहां सब सेंटर पर स्टाफ नहीं मिला और देर रात बड़ी मुश्किल से एक निजी वाहन की व्यवस्था हो पाई। महिला को लेकर परिजन रात ढाई बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवला पहुंचे। जहां महिला का प्रसव कराया गया। गनीमत रही कि इतना कठिन रास्ता तय करने के बाद मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। अंबाल गांव के वार्ड पंच केवाराम का कहना है कि गांव तक सड़क निर्माण की मांग के लिए कई बार राज्य सरकार को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। ऐसे में बीमार और प्रसूताओं को अस्पताल पहुंचाना होता है तो जान हथेली पर लेकर ग्रामीण इसी तरह निकलते हैं।  


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