Rajasthan: कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों की सदस्यता रद कराने को लेकर सक्रिय हुई बसपा
Rajasthan बसपा नेतृत्व दलबदल कर कांग्रेस का साथ देने वाले विधायकों की विधानसभा से सदस्यता रद करवाना चाहती है। इस मुद्दे को लेकर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह पार्टी को धोखा देकर कांग्रेस में शामिल होने वाले वाले विधायकों की सदस्यता रद कराने की कसरत में जुटे हैं।
जयपुर, जागरण संवाददाता। Rajasthan: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती कांग्रेस की राजस्थान सरकार से बेहद नाराज है। बसपा के सभी छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से दोनों पार्टियों में दांवपेच चल रहा है। बसपा शुरू से ही अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए। सभी छह विधायकों के सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल होने को असंवैधानिक बता रही है। सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला पहुंच गया। बसपा नेतृत्व दलबदल कर कांग्रेस का साथ देने वाले विधायकों की विधानसभा से सदस्यता रद करवाना चाहती है। इस मुद्दे को लेकर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा दो दिन से पार्टी को धोखा देकर कांग्रेस में शामिल होने वाले वाले विधायकों की सदस्यता रद कराने की कसरत में जुटे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में जहां पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा दलील रख रहे हैं। वहीं, जयपुर में कमान प्रदेश अध्यक्ष ने संभाल रखी है। बृहस्पतिवार को बसपा का एक प्रतिनिधिमंडल विधानसभा सचिव से मिला। प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं ने दलबदल में शामिल विधायकों की सदस्यता रद करने को लेकर याचिका विधानसभा सचिव के समक्ष पेश की। बसपा के टिकट पर जीते छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के मुद्दे को पार्टी हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक ले गई। उस समय हाईकोर्ट ने कहा था कि नियमानुसार पहले विधानसभा अध्यक्ष से ही इस पर फैसला लेना होगा। उस फैसले को बाद में बसपा कोर्ट में चुनौती दे सकती है।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष को इस मामले में तीन माह में निर्णय देना होगा, लेकिन अध्यक्ष ने अब तक निर्णय नहीं दिया। ऐसे में सभी छह विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बसपा ने फिर विधानसभा अध्यक्ष का दरवाजा खटखटाया है। शुक्रवार को प्रदेश अध्यक्ष ने कानूनी व विधि विशेषज्ञों से इस संबंध में चर्चा की। भगवान सिंह बाबा ने दैनिक जागरण को बताया कि विधानसभा सचिव के समक्ष पेश याचिका में आग्रह किया गया है कि हमारे विधायकों की सदस्यता खत्म की जाए। अब इस याचिका पर अध्यक्ष सुनवाई करेंगे।
ये विधायक हुए थे कांग्रेस में शामिल
बसपा के टिकट पर चुनाव जीते दीपचंद खेरिया, राजेंद्र गुढ़ा, वाजिब अली, लाखन सिंह मीणा, जोगिंद्र सिंह अवाना व संदीप यादव कांग्रेस में शामिल हुए थे। लाखन सिंह मीणा को तो दो दिन पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी में महासचिव बना दिया गया। बसपा प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि वे हमारी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते हैं, उनका कांग्रेस में शामिल होने असंवैधानिक है। कांग्रेस में पदाधिकारी बनने के बाद तो सौ फीसदी उनकी विधानसभा से सदस्यता रद होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में भी साल 2008 में बसपा विधायक दल का कांग्रेस में विलय कराया था। यही इतिहास दोहराते हुए उन्होंने 2018 में विलय करा लिया।
इससे नाराज मायावती ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग कई बार की। पिछले साल सचिन पायलट की बगावत के बाद कांग्रेस सरकार में आए संकट के दौरान मायावती ने व्हीप जारी कर विधानसभा में गहलोत सरकार के खिलाफ मतदान करने के लिए कहा, लेकिन विधायकों ने खुद के कांग्रेस में शामिल होना बताकर ऐसा करने से इनकार कर दिया। बसपा के साथ ही भाजपा विधायक मदन दिलावर भी इन विधायकों की सदस्यता रद कराने की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के पास पहुंचे थे, लेकिन अध्यक्ष ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। बाद में दिलावर कोर्ट में गए।