जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वच्छ और पारदर्शी प्रशासन देने की बात कहते हैं। सीएम भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टोलरेंस का नारा देते हैं, लेकिन इसके विपरित उनके मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने चार लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोपित अधिकारी बंशीधर कुमावत को अपना विशिष्ट सहायक बनाया है। राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने कुमावत को चार दिसंबर, 2019 को दलाल के माध्यम से नगद रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। उन्हें सजा भी हुई। कुमावत को निलंबित भी किया गया था। जमानत पर बाहर आने के बाद उन्हें बहाल कर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में उन्हें संयुक्त शासन सचिव बना दिया गया। अब दो दिन पहले राज्यमंत्री गुढ़ा ने उन्हें विशिष्ट सहायक बनाया है। मंत्री के विशिष्ट सहायक पद पर रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया अधिकारी लगाए जाने को लेकर प्रशासनिक व राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। जिस समय कुमावत को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था, तब उसके घर और दफ्तर की तलाशी में 17 प्लाट व दुकान के दस्तावेज मिले थे। यह सभी उसके स्वयं और स्वजनों के नाम से थे। कुमावत इससे पहले 2008 से 2013 तक तत्कालीन कांग्रेस सरकार में संसदीय सचिव ब्रहृदेव कुमावत के विशिष्ट सहायक रहे थे। इस मामले में गुढ़ा से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो सके।
इससे पहले दिसंबर, 2021 में अशोक गहलोत के गृहनगर जोधपुर के तहसील कार्यालय में बनाड़ क्षेत्र की जमीन की तरमीम करने के हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद तहसील के कारिंदों ने तहसीलदार के नाम से पचास हजार रुपये की रिश्वत मांग ली। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले में एक दलाल, तहसीलदार के ड्राइवर व एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को गिरफ्तार कर पचास हजार रुपये बरामद किए। इस मामले में तहसीलदार दीपक सांखला की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। उनके खिलाफ भी एसीबी जांच कर रही है। जोधपुर निवासी परिवादी केवलराम ने एसीबी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी कि बनाड़ क्षेत्र में उसकी जमीन है, इस पर वह होटल बनाना चाहता है। इसके लिए जेडीए में पट्टा लेने को आवेदन किया। लंबे अरसे तक पट्टा जारी नहीं होने पर हाई कोर्ट में वाद दायर किया। मार्च, 2021 में हाई कोर्ट ने तहसीलदार को मौका मुआयना कर तरमीम रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया, ताकि पट्टा जारी सके।
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