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Rajasthan Assembly: नेताओं को किसान नहीं मानने के मुद्दे पर राजस्थान विधानसभा में बहस

Rajasthan Assembly अशोक गहलोत सरकार ने एग्रो प्रोसेसिंग नीति के तहत प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर केवल किसान कैटेगरी के आवेदकों को ही 50 फीसद कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान किया है। इस प्रावधान में पदों पर बैठे या रह चुके नेताओं को किसान नहीं माना गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 07:56 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 08:54 PM (IST)
Rajasthan Assembly: नेताओं को किसान नहीं मानने के मुद्दे पर राजस्थान विधानसभा में बहस
राजस्थान विधानसभा का घेराव करने जा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़प। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan Assembly: मंत्री, विधायकों और पदों पर रह चुके नेताओं को किसान नहीं मानने के राजस्थान सरकार के फैसले पर विधानसभा में शनिवार को सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच जमकर बहस हुई। अशोक गहलोत सरकार ने एग्रो प्रोसेसिंग नीति के तहत प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर केवल किसान कैटेगरी के आवेदकों को ही 50 फीसद कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान किया है। इस प्रावधान में पदों पर बैठे या रह चुके नेताओं को किसान नहीं माना गया है। माकपा विधायक बलवान पूनिया ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए जनप्रतिनिधियों को किसान नहीं मानने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें बदलाव किया जाना चाहिए।विधानसभा अध्यक्ष डा. सीपी जोशी ने सरकार को एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट की 50 फीसद सब्सिडी के लिए जनप्रतिनिधियों को भी किसान के दायरे में लेने के निर्देश दिए।

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इस तरह दिया चर्चा का जवाब

शून्यकाल में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर हुई इस चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि भारत सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से किसान की परिभाषा में संशोधन किया गया है। उन्होंने बताया कि संशोधन से कोई भी परिवार वंचित नहीं हुआ है। किसान की श्रेणी में वही व्यक्ति या परिवार शामिल होंगे, जिनकी आजीविका पूरी तरह कृषि पर निर्भर है। किसान सम्मान निधि में किसान की परिभाषा में पूर्व और मौजूदा सांसद, विधायक, महापौर व जिला प्रमुख नहीं आएंगे। सरकार की मौजूदा एग्रो प्रोसेसिंग नीति में यूनिट लगाने पर किसान को ही 50 फीसद सब्सिडी देते हैं। अगर सांसद, विधायक या अन्य कोई जनप्रतिनिधि खेत के मालिक हैं तो भी उन्हें किसान नहीं माना है। इस पर पूनिया ने कहा कि हमें किसान बने रहने के हक से वंचित नहीं करना चाहिए। हमारे पास जमीन है। हम खेती करते हैं। उन्होंने कहा कि किसान सम्मान निधि में पात्रता और एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट लगाने वाले किसान की परिभाषा अलग होनी चाहिए। अध्यक्ष ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को किसान नहीं मानने वाली परिभाषा सरकार को बदलना चाहिए। किसान की परिभाषा पर भाजपा विधायकों ने भी आपत्ति जताई।

विधेयक पारित 

राज्य विधानसभा में शनिवार को दंड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक पारित किया गया। इस विधेयक पर हुई बहस के दौरान प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र राठौड़ की संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के साथ नोंकझोंक हुई। भाजपा विधायकों ने विधेयक में किए गए प्रावधानों पर कहा कि इनके बारे में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। धारीवाल ने कहा कि खाने-पीने की वस्तुओं और औषधियों में अपमिश्रण करना लोगों के स्वास्थ्य व जीवन के लिए गंभीर खतरा है। राज्य सरकार की मंशा इस विधेयक के माध्यम से मिलावटी खान-पान की वस्तुओं और नकली औषधियों की बिक्री को रोकना है। गड़बड़ करने वालों को सरकार सजा भी दिलाना चाहती है। सरकार ने प्रावधान किया है कि मिलावट करने वालों को सख्त सजा मिले। कानून को प्रभावी तरह से लागू करने के लिए प्रावधान किए गए हैं। जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को कार्रवाई करने की शक्तियां दी गई हैं।

राजस्थान विधानसभा का घेराव करने जा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़प

राजस्थान की राजधानी जयपुर में शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़प हुई। प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था, किसान कर्ज माफी, बेरोजगारी और बिजली के बिलों में बढ़ोतरी के विरोध में भाजपा ने विधानसभा के घेराव का कार्यक्रम रखा था। शनिवार को विधानसभा के मानसून सत्र का अंतिम दिन था। सत्र के अंतिम दिन विधानसभा का घेराव करने के लिए पार्टी मुख्यालय से रवाना हुए भाजपा कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेट्स और बड़ी संख्या में जवान तैनात कर दिए। रैली के रूप में भाजपा कार्यकर्ता पार्टी मुख्यालय से कुछ दूर ही पहुंचे थे कि पुलिस ने उन्हें रोक लिया। पुलिस के रोके जाने से नाराज कार्यकर्ताओं ने धक्का-मुक्की शुरू कर दी।

महिला कार्यकर्ता सरकार तक चूड़ियां पहुंचाने के लिए लेकर आई थी। महिला पुलिसकर्मियों ने उन चूड़ियों को कार्यकर्ताओं से छीनकर फेंक दिया। धक्का-मुक्की में एक पुलिस अधिकारी चोटिल हो गया, उसे उपचार के लिए सवाई मान सिंह अस्पताल पहुंचाया गया। कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं के भी चोट आई है। यह मामला विधानसभा में भी उठा। विधानसभा में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि विभिन्न मुद्दों को लेकर भाजपा कार्यकर्ता आक्रोश रैली निकाल रहे हैं। पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। कार्यकर्ताओं से सरकार को ज्ञापन लेना चाहिए। इस पर संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि ज्ञापन ले लिया गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं का नेतृत्व सांसद रामचरण बोहरा और विधायक रामलाल शर्मा ने किया। अधिकांश विधायक विधानसभा की कार्यवाही चलने के कारण कार्यकर्ताओं के बीच नहीं पहुंचे।

जमीन जेहाद के मुद्दे को लेकर भाजपा नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा

राजस्थान में टोंक जिले के मालपुरा में हिंदुओं का पलायन करने और एक वर्ग विशेष का प्रभाव बढ़ने के मुद्दे को लेकर भाजपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला। भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती और सुखबीर सिंह जौनपुरिया के नेतृत्व में राज्यपाल से मिलने वाले एक दर्जन नेताओं ने कहा कि मालपुरा में जमीन जेहाद से हिंदू वर्ग भयभीत है। लोग पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 600 से अधिक हिंदू परिवारों का पलायन हो चुका है। प्रशासन लोगों को लगातार डरा-धमका रहा है । वर्ग विशेष के लोगों को प्रशासन संरक्षण दे रहा है। हिंदुओं के खिलाफ राष्ट्रद्रोह और सौहार्द बिगाड़ने के मुकदमें दर्ज करने की धमकियां दी जा रही हैं।

भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया। नेताओं ने कहा कि यदि शीघ्र कोई कार्रवाई नहीं की गई तो हिंदुओं के जो परिवार मालपुरा में बचे हैं, वह भी पलायन कर जाएंगे। जौनपुरिया ने कहा कि एक वर्ग विशेष के लोग गरीब हिंदू परिवारों की जमीन महंगे दामों पर खरीदी जाती है और फिर आसपास रहने वालों को अपने घर बेचकर जाने के लिए मजबूर किया जाता है। वर्ग विशेष के लोग हिंदू परिवारों को प्रताड़ित कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा यह मुद्दा पिछले एक सप्ताह से उठा रही है। बृहस्पतिवार को विधायक कन्हैयालाल ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो हालात विस्फोटक हो सकते हैं। भाजपा नेताओं का एक दिल मालपुरा का दौरा भी कर चुका है।


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