राजस्थान के विधायक बोले, विधानसभा में भूत-प्रेत का है साया
भाजपा के वरिष्ठ विधायक कालूलाल गुर्जर का कहना है कि विधानसभा भवन में भूत, प्रेत आत्माओं का साया है।
नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान के विधायकों को अब विधानसभा भवन अपशकुनी लगने लगा है। विधायक चाहते हैं कि विधानसभा परिसर में यज्ञ-हवन कराने के साथ ही यहां गंगाजल से पूरे परिसर को धोया जाए। विधायकों का कहना है कि वर्ष 2000 में विधानसभा नए भवन में शिफ्ट हुई, तभी से यहां कभी एक साथ 200 विधायक नहीं बैठे। राजस्थान में विधायकों की कुल संख्या 200 है, लेकिन पिछले 18 सालों से सदन में एक साथ कभी पूरे विधायक नहीं बैठे, कभी किसी विधायक की मौत हो गई तो कभी किसी विधायक को जेल जाना पड़ा।
मुख्यमंत्री व विधानसभा अध्यक्ष से यज्ञ-हवन कराने का किया आग्रह
विधायकों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल से विधानसभा परिसर में यज्ञ-हवन कराने का आग्रह किया है। विधानसभा में सरकारी मुख्य सचेतक और भाजपा के वरिष्ठ विधायक कालूलाल गुर्जर का कहना है कि यह विधानसभा भवन श्मशान की जमीन पर बना हुआ है, इस कारण यहां आत्माएं घूम रही है। इसी कारण यहां कभी सभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे। उन्होंने कहा कि विधानसभा भवन में भूत, प्रेत आत्माओं का साया है। गुर्जर ने बातया कि मुख्यमंत्री से अनुष्ठान करवाने का आग्रह किया गया है। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद आत्माओं और ग्रृहों की शांति के लिए अनुष्ठान कराने के साथ ही ब्राहम्ण भोज कराया जाएगा।
भाजपा विधायक हबीबुर्रहमान ने कहा कि विधानसभा अनशकुनी है। मैंने सीएम वसुंधरा राजे से पूजा-पाठ कराने के लिए कहा है। पंडितों से यज्ञ कराया जाए और मौलवियों से शुद्धि कराई जाए। उन्होंने कहा कि विधायकों की मौत अपशकुन के कारण हो रही है। उन्होंने कहा कि जब विधानसभा पुराने से नए भवन में स्थापित हुई तो मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व.भैरोंसिंह शेखावत से कहा था कि जिस स्थान पर नया भवन बना है, वहां श्मशान भी था और मजार भी, इसलिए यहां धार्मिक अनुष्ठान कराया जाना चाहिए, लेकिन मेरी नहीं मानी गई और तभी से सदन में एक साथ कभी 200 विधायक नहीं बैठे।
निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के श्रवण कुमार ने भी विधानसभा परिसर में पूजा-पाठ कराने की जरूरत बताई। विधायकों ने कहा कि पूरे परिसर को गंगाजल से धोना चाहिए ।
पंडित और वास्तु विशेषज्ञ बोले, श्मशान पर भवन ठीक नहीं
विधायकों में उपजे भय के बाद गुरुवार को आधा दर्जन पंडित और वास्तु विशेषज्ञ विधानसभा भवन के बाहर पहुंचे। वे यहां कैसे आए, ये बताने को तैयार नहीं थे। लेकिन उन्होंने कहा कि विस भवन श्मशान की भूमि पर बना है, इसलिए यदि शीघ्र अनुष्ठान नहीं कराया गया तो ऐसे होता ही रहेगा। उन्होंने भवन परिसर में एक मंदिर और पास में एक मजार का भी हवाला दिया।
ये रहा है इतिहास
वर्ष 1999 में नया विधानसभा परिसर बनकर तैयार हुआ, लेकिन निर्माण के समय आधा दर्जन मजदूरों की विभिन्न कारणों से मौत हो गई। इसके बाद वर्ष 2000 में नए भवन में नियमित बैठकें शुरू हुई। इसके बाद एक संयोग ही जुड़ गया कि किसी ना किसी कारण एक साथ सभी 200 विधायक नहीं बैठे। वर्ष 2000 में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री भीखा भाई की मौत हो गई थी।
इसके बाद विधायक भीमसेन चौधरी, वर्ष 2003 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राम सिंह विश्नोई, वर्ष 2005 में विधायक अरुण सिंह की मौत हो गई। इसके बाद वर्ष 2011 में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा और कांग्रेस विधायक मलखान सिंह को चर्चित भंवरी देवी हत्या प्रकरण में जेल जाना पड़ा। इसके बाद इसी वर्ष एक एनकाउंटर मामले में भाजपा के दिग्गज विधायक राजेन्द्र राठौड को जेल जाना पड़ा।
वर्ष 2013 में कांग्रेस विधायक बाबूलाल नागर और अप्रैल,2017 में बसपा के बीएल कुशवाह को जेल जाना पड़ा। इसी तरह से सितम्बर, 2017 में भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई, उनकी खाली सीट पर हाल ही में उप चुनाव हुआ। अभी दो दिन पूर्व भाजपा विधायक कल्याण सिंह की मौत के बाद तो विधायकों में जबरदस्त भय बना हुआ है।