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Integrating Farming In India: कृषि संस्थान जैसा लगता है राजस्थान का यह खेत, अब तक मिले हैं यह पुरस्कार

Best Integrated Farming Model In India खेत में गाय के गोबर से प्राकृति पोषक तत्व मिलाकर जैविक खाद तैयार की जाती है। यह खाद तैयार करने की छोटी फैक्ट्री फार्म में ही लगी हुई है। खाद और गोबर से बनने वाला सामान बाजार में बेचा जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 06:02 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 06:05 PM (IST)
Integrating Farming In India: कृषि संस्थान जैसा लगता है राजस्थान का यह खेत, अब तक मिले हैं यह पुरस्कार
Best Integrated Farming System Model in Rajasthan: बाजार में नहीं, सीधे उपभोक्ता के घर पहुंचाते उत्पाद

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर : Best Integrated Farming Model in India पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, कृषि के साथ ही गो पालन और मधुमक्खी पालन के साथ कृषि व डेयरी उत्पादों के व्यापार का एक अनूठा मिश्रण है राजस्थान के एक गांव का फार्म। विशेष बात यह है कि खेत में किए जा रहे सारे काम एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम करते हैं। एकीकृत खेती का यह उदाहरण राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर भैराणा गांव में देखा जा सकता है। यहां 80 बीघा खेत में किसान सुरेन्द्र सिंह अवाना ने एकीकृत खेती करते हुए देश की सबसे अच्छी गिर नस्ल की 200 गायें पाल रखी हैं। उनके खेत में फ्रंट प्लांटेशन, जैविक खेती, गाय के गोबर से दीपक, गोकाष्ठ, गमले और ईंट बनाने से लेकर जैविक खाद की फैक्ट्री, मछलीपालन, भेड़ और बकरी पालन भी होता है।

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अवाना ने नए-नए प्रयोग करते हुए अपने फार्म में डेढ़ दशक में प्रदेश का सबसे बड़ा ब्रीडिंग सेंटर बना दिया है, जहां केवल बछड़ियां ही पैदा होती हैं। खेत में ही पशुआहार बनाने की छोटी फैक्ट्री लगी है। अवाना के फार्मिंग माडल को देखने के लिए अब दक्षिण भारत के राज्यों से भी किसान पहुंच रहे हैं। अवाना गाय का दूध 80 रुपए और देशी घी दो हजार रुपए प्रति किलो बेच रहे हैं। रसगुल्ले और मावे की मिठाई भी यहीं से बनकर बाजार में बेची जा रही है। प्रतिदिन मांग के अनुसार सब्जियां और अनाज सीधे उपभोक्ता के घर तक पहुंच रहा है।

बाजार में नहीं, सीधे उपभोक्ता के घर पहुंचाते उत्पाद: सेब, स्ट्राबेरी, बेर, अमरूद और आडू जैसे फलदार पौधे भी फार्म में लगाए गए हैं। अवाना ने बताया कि 400 परिवारों को नियमित रूप से फल, सब्जी, अनाज, दूध और घी पहुंचाया जा रहा है। गेंहू, बाजरा व मक्का मंडियों में नहीं बेचकर वह सीधे उपभोक्ता के घर पहुंचा रहे हैं। खेत में 30 लोग काम करते हैं। यहां पूरे साल 22 तरह का चारा पैदा होता है। खेत में 150 तरह के औषधीय पौधे लगे हुए हैं। नर्सरी में अलग-अलग किस्म के पौधे लगे हुए हैं।

प्रतिवर्ष कमा रहे 30 लाख रूपये: आवाना का दावा है कि वह वर्तमान में 30 लाख रुपए प्रतिवर्ष कमा रहे हैं। मौसम के हिसाब से सब्जियां और अनाज पैदा होता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में दो गिर गाय से डेयरी फार्म की शुरुआत की थी, वर्तमान में 200 गाय हैं और तीन साल बाद यह संख्या 400 तक पहुंच जाएगी। दो साल में 60 बछड़ियां यहां पैदा हो चुकी हैं। खेत में गाय के गोबर से प्राकृति पोषक तत्व मिलाकर जैविक खाद तैयार की जाती है। यह खाद तैयार करने की छोटी फैक्ट्री फार्म में ही लगी हुई है। खाद और गोबर से बनने वाला सामान बाजार में बेचा जाता है। अवाना पिछले एक दशक से प्रतिदिन एक पेड़ लगा रहे हैं। खेत देखने आने वाले लोगों से भी वह पेड़ लगवाते हैं।

अपना रहे सार्टेड सीमन तकनीक: अवाना ने बताया कि सार्टेड सीमन से केवल बछड़ियां पैदा होती हैं। वाई शुक्राणु से बछड़ा तथा एक्स से बछड़ी पैदा होती है। शुक्राणुओं की संख्या के आधार पर बछ़ड़ा या बछड़ी होने की संभावना आधी-आधी रहती है। सार्टेड सीमन तकनीक में प्रयोगशाला में वाई शुक्राणु को सीमेन से हटा दिया जाता है, जिससे बछड़ी होने की संभावना 90 प्रतिशत हो जाती है। अवाना ने अपने खेत में ही साटेर्ड सीमेन तकनीक के लिए प्रयोगाला लगा रखी है।

अब तक मिले हैं यह पुरूस्कार: अवाना को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से राष्ट्रीय गो पालन रत्न अवार्ड पिछले वर्ष मिला है। वह राजस्थान के पहले किसान हैं, जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने उन्हें हलधर आर्गेनिक अवार्ड से सम्मानित किया है। राज्य सरकार और कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर सहित कई सामाजिक संस्थाएं उन्हे सम्मानित कर चुकी हैं।


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