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ऐसे तो बंद हो जाएगा बांसवाड़ा का सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, 90 फीसदी सीटें खाली

बांसवाड़ा में खोला गया सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने के कगार पर है। इस साल 90 फीसदी से अधिक सीटें खाली रहने और आर्थिक संकट के चलते कॉलेज बंद होने की दिशा में बढ़ रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 11:58 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 11:58 AM (IST)
ऐसे तो बंद हो जाएगा बांसवाड़ा का सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, 90 फीसदी सीटें खाली
ऐसे तो बंद हो जाएगा बांसवाड़ा का सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, 90 फीसदी सीटें खाली

उदयपुर, सुभाष शर्मा। आदिवासी अंचल के बच्चों को तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए बांसवाड़ा में खोला गया सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने के कगार पर है। इस साल 90 फीसदी से अधिक सीटें खाली रहने और आर्थिक संकट के चलते कॉलेज बंद होने की दिशा में बढ़ रहा है।

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राज्य सरकार ने जनजाति विद्यार्थियों की चली आ रही लंबी मांग के बाद साल 2012 में टीएसपी एरिया के विद्यार्थियों के अध्ययन को लेकर बांसवाड़ा में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज खोला था। यहां की पचास फीसदी रिजर्व कर दी गईं। जिनमें पैंतालीस फीसदी सीटों पर जनजाति तथा पांच फीसदी सीटों पर अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को ही प्रवेश दिया जाने लगा। साथ ही बाकी पचास फीसदी सीटें केवल टीएसपी क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए रिजर्व रखी गईं।

जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग ने किया किनारा जनजाति विद्यार्थियों की फीस को लेकर तय किया गया था कि इनकी फीस जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से दी जाएगी। जिससे कॉलेज के समक्ष कभी भी आर्थिक संकट नहीं गहराएगा। लेकिन कुछ सालों बाद जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग ने विद्यार्थियों की फीस को लेकर किनारा कर लिया और इसकी जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग को सौंप दी। जिसके बाद जनजाति विद्यार्थियों की फीस सरकार की ओर से मिलना बंद हो गई। मोटी फीस के लिए पैसा नहीं होने पर जनजाति विद्यार्थियों ने इस कॉलेज में प्रवेश से किनारा कर लिया। इस कॉलेज को राज्य सरकार ने साल 2017 में बंद करने की तैयारी कर ली थी लेकिन स्थानीय जनजाति नेताओं के दबाव के चलते इस कॉलेज का संचालन सेल्फ फाइनेंस सिस्टम आधारित कर दिया गया।

यानी शैक्षणिक कार्यों का खर्चा फीस के जरिए पूरा किया जाना तय किया गया। पूर्व में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से प्रवेश के समय फीस की राशि कॉलेज को मिल जाती थी लेकिन जब से समाज कल्याण विभाग सत्र के अंत में छात्रवृत्ति जारी करता है, जिसके चलते विद्यार्थियों ने यहां प्रवेश से किनारा कर लिया।

इस तरह घटता गया प्रवेश

फिलहाल इस कॉलेज में सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की ब्रांच चल रही है। साल 2012 -13 और 13- 14 में 240-240 सीटों का आवंटन हुआ। जिसमें तब क्रमश: 85 और 78 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। साल 2014 -15 में 35, साल 15- 16 में 37 और साल 16- 17 में महज 31 ही विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। इसी तरह साल 17- 18 में भी 31 और साल 2018-19 में 42 विद्यार्थियों ने ही प्रवेश लिया। जहां तक टीएसपी ऐरिया

के लिए रिजर्व सीटों को लेकर बात की जाए तो पिछले तीन सत्रों में महज 29 ही विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया, जो आरक्षित सीटों का दस फीसदी भी नहीं है।

बांसवाड़ा तकनीकी महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. शिवलाल का कहना है- जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग अपनी आरक्षित सीटों की फीस देना शुरू कर दे तो कॉलेज हमेशा चलता रहेगा। इसके अलावा प्रवेश प्रक्रिया में पैंतालीस फीसदी आरक्षण को हटाने का विकल्प भी अपनाया जा सकता है। 

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