Move to Jagran APP

Ayodhya Temple : अयोध्या की तरह उदयपुर में भी विराजेंगे रामलला, स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत दिया जा रहा नया रूप

Ayodhya Temple स्मार्ट सिटी योजना के तहत इस मंदिर का शिखर तथा आगे बने गुम्बद का पुनर्निर्माण किया गया है। गुम्बद के अंदर भी नए सिरे से अराइस का काम जारी है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 08:02 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 09:03 PM (IST)
Ayodhya Temple : अयोध्या की तरह उदयपुर में भी विराजेंगे रामलला, स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत दिया जा रहा नया रूप
Ayodhya Temple : अयोध्या की तरह उदयपुर में भी विराजेंगे रामलला, स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत दिया जा रहा नया रूप

जागरण संवाददाता, उदयपुर :  अयोध्या में भगवान रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की नींव रखी जा चुकी है लेकिन उदयपुर में भी एक प्राचीन मंदिर को भगवान राम के मंदिर के रूप में विकसित किया जा रहा है। प्रतिमा रहित जर्जर हो चुके इस मंदिर का विकास स्मार्ट सिटी योजना के पीछोला झील के घाटों के पुनरूद्धार के तहत किया जा रहा है। पीछोला झील के किनारे दाईजी की पुलिया के समीप स्थित इस मंदिर में अब भगवान राम की प्रतिमा स्थापना की जाएगी। जिसके लिए क्षेत्रीय लोग सक्रिय हो चुके हैं। 

loksabha election banner

मंदिर का शिखर तथा आगे बने गुम्बद का पुनर्निर्माण किया गया

स्मार्ट सिटी योजना के तहत इस मंदिर का शिखर तथा आगे बने गुम्बद का पुनर्निर्माण किया गया है। गुम्बद के अंदर भी नए सिरे से अराइस का काम जारी है। पिछले एक महीने से यहां मजदूर इसके प्राचीन स्वरूप के अनुसार बनाने में जुटे हैं। इस मंदिर के निर्माण तथा इसमें विराजित प्रतिमा के बारे में आसपास रहने वाले लोगों तक को पता नहीं। बुजुर्गों का कहना है कि इस मंदिर में उन्होंने कभी प्रतिमा विराजित नहीं देखी। हालांकि इतिहासकारों का कहना है कि यह मंदिर डेढ़ सौ दो सौ साल पुराना है। इसका निर्माण उसी काल में किया गया जब गणगौर घाट का निर्माण हुआ होगा। मंदिर के आगे वाले घाट को रोमणिया घाट कहा जाता है। 

अंतिम संस्कार के बाद इस घाट पर महिलाएं स्नान करने आती थी 

इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू बताते हैं कि मेवाड़ साम्राज्य के दौरान इस क्षेत्र के लोगों की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार के बाद इस घाट पर महिलाएं स्नान करने आती थी और यहां उनके रोने के चलते इस घाट का नाम रोमणिया घाट पड़ गया। कुछ लोगों बताते थे कि यह रघुनाथ मंदिर था लेकिन यहां ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले जो उनकी बात को साबित करे। यह मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन है लेकिन उनके पास भी इस बात का रिकार्ड नहीं कि यहां विराजित प्रतिमा किस भगवान की थी। इस क्षेत्र के लोगों तथा धार्मिक संगठनों के यहां भगवान राम की प्रतिमा विराजित किए जाने से देवस्थान विभाग को भी आपत्ति नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.