VIDEO: कांग्रेस छोड़कर जाने वालों पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का तंज, कहा-पार्टी में रहकर भी बुराई करोगे
Rajasthan अशोक गहलोत ने कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं पर तंज कसा। गहलोत ने ट्वीट में लिखा कि कोई जाए उसका स्वागत है आए उसका स्वागत है। राहुल जी ने जो बात कही थी कि भई जाना हो तो जाओ बाकी तो कम से कम हम लोग काम करें।
जयपुर, जेएनएन। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं पर तंज कसा। गहलोत ने ट्वीट में लिखा कि कोई जाए उसका स्वागत है, आए उसका स्वागत है। राहुल जी ने जो बात कही थी कि भई जाना हो तो जाओ, बाकी तो कम से कम हम लोग काम करें। पार्टी में रहकर भी अगर पार्टी की बुराई करोगे, आपके मन-मस्तिष्क में पार्टी की बात नहीं रहेगी, उससे ज्यादा नुकसान है पार्टी को, इससे अच्छा है आप बाहर जाइए। एक अन्य वीडियो ट्वीट में गहलोत ने कहा कि कांग्रेस इतना बड़ा संगठन है, कांग्रेस देश के अंदर एक आंदोलन की तरह है,135 साल का लंबा इतिहास है। कांग्रेस एकमात्र पार्टी है जो देश के हर गांव में मिलेगी, आप सोच सकते हो कि ये समुद्र की तरह है, इसमें पहले भी कई बड़े-बड़े लोग गए और उनको वापस आना पड़ा पार्टी के अंदर, ये इतिहास गवाह है।
कांग्रेस इतना बड़ा संगठन है, कांग्रेस देश के अंदर एक आंदोलन की तरह है,135 साल का लंबा इतिहास है।कांग्रेस एकमात्र पार्टी है जो देश के हर गांव में मिलेगी,आप सोच सकते हो कि ये समुद्र की तरह है,इसमें पहले भी कई बड़े-बड़े लोग गए और उनको वापस आना पड़ा पार्टी के अंदर, ये इतिहास गवाह है। pic.twitter.com/KV9MafQexZ
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) January 26, 2022
एक अन्य ट्वीट में गहलोत ने गणतंत्र दिवस की सभी को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने लिखा कि गणतंत्र दिवस एक संकल्प लेने का अवसर देता है कि आने वाले वक्त में हम लोग अपने संविधान को और मजबूत करें। आज चाहे संविधान हो, चाहे लोकतंत्र हो, उसके लिए ऐसा माहौल बन गया है कि पता नहीं क्या होगा आने वाले वक्त में। एक अन्य ट्वीट में गहलोत ने लिखा कि देश के अंदर तमाम एजेंसियों पर दबाव है, अशांति का माहौल है, अविश्वास का माहौल है, तनाव का माहौल है, हम बार-बार कहते हैं कि प्रेम-मोहब्बत-भाईचारा- सद्भाव होना चाहिए देशवासियों में आपस में, सभी धर्म- सभी जातियों के लोगों में, जिससे हम लोग और मजबूत हो सकें।
गौरतलब है कि कांग्रेस छोड़ने वाले नई पीढ़ी के नेताओं की ताजा कड़ी में शामिल आरपीएन सिंह के पाला बदलने से यह लगभग साफ हो गया है कि दिग्गजों को असहज-नाराज करने की कीमत पर कांग्रेस को 'नेक्स्ट जेनरेशन पार्टी' बनाने का नेतृत्व का डेढ़ दशक का सियासी प्रयोग नाकाम साबित हुआ है। उत्तर प्रदेश से लेकर असम और त्रिपुरा से लेकर मध्य प्रदेश तक में बीते ढाई साल के दौरान एक-एक कर कांग्रेस के नए उभरे सितारों ने जिस तरह 'हाथ' का साथ छोड़ा है, उसे देखते हुए पार्टी में ही अंदरखाने इस सियासी प्रयोग पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के युवा नेताओं में शामिल रहे आरपीएन सिंह के चुनाव के दरम्यान पाला बदलने को कांग्रेस चाहे डरपोक और कायर लोगों को फैसला बताकर इसके नुकसान की गंभीरता को कम दर्शाने का प्रयास करे। लेकिन पार्टी के सियासी गलियारों में एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद युवा पीढ़ी के नेताओं के कांग्रेस छोड़कर जाने के शुरू हुए सिलसिले पर अंदरूनी सवाल तो होने ही लगे हैं।