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Rajasthan: अशोक गहलोत का नारा-हर गलती कीमत मांगती है, लेकिन भ्रष्ट अफसरों को बचा रही सरकार

भ्रष्टाचार में लिप्त राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ एसीबी सख्त है। एसीबी ने 5 माह में 4 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ रिश्वत के मामले की जांच की। जांच में सामने आया कि आईएएस अधिकारी अपने पीए और दलालों के माध्यम से रिश्वत लेते हैं।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 10:52 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 10:52 AM (IST)
Rajasthan: अशोक गहलोत का नारा-हर गलती कीमत मांगती है, लेकिन भ्रष्ट अफसरों को बचा रही सरकार
राजस्थान सरकार के अधिकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

जागरण संवाददाता,जयपुर। राजस्थान सरकार के अधिकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नारे "स्वच्छ एवं पारदर्शी प्रशासन और हर गलती कीमत मांगती है" के नारे से को ठेंगा दिखा रहे हैं। एक तरफ जहां सीएम भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और राज्य प्रशासनिक सेवा (आरएएस)के अधिकारी लगातार रिश्वत लेते हुए पकड़े जा रहे हैं ।

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इनमें से एक श्रम सचिव और राजस्थान राज्य कौशल विकास निगम (आरएसएलडीसी) के चेयरमैन नीरज के.पवन के खिलाफ 5 साल में भ्रष्टाचार के 4 मामले दर्ज हुए। उन्हे 8 माह तक जेल में भी रहना पड़ा, लेकिन फिर भी न जाने सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि उन्हे महत्वपूर्ण पद से अब तक नहीं हटाया गया है। राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 5 साल में पवन के खिलाफ भ्रष्टाचार और पद के दुरूपयोग के मामले दर्ज किए । लेकिन किसी में सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी तो किसी को मामले को दबा दिया गया ।

एसीबी की सक्रियता का भी भय नहीं

भ्रष्टाचार में लिप्त राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ एसीबी सख्त है। एसीबी ने 5 माह में 4 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ रिश्वत के मामले की जांच की। जांच में सामने आया कि आईएएस अधिकारी अपने पीए और दलालों के माध्यम से रिश्वत लेते हैं। पिछले सप्ताह आरएसएलडीसी के दो कर्मचारी 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। दोनों से हुई पूछताछ में सामने आया कि वह यह रकम चेयरमैन पवन और एमडी प्रदीप गावड़े के लिए ले रहे थे।

एसीबी ने पवन और गवड़े के मोबाइल फोन जब्त कर जांच के लिए भेजे। दोनों के दफ्तरों से कई साक्ष्य जुटाए हैं। युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने वाली एक फर्म को पहले ब्लैक लिस्ट करने और फिर ब्लैक लिस्ट की सूची से हटाने एवं उसका बकाया भुगतान करने के लिए यह रिश्वत ली गई थी। ब्लैक लिस्ट से किसी फर्म को हटाने और भुगतान का निर्णय चेयरमैन व एमडी के स्तर पर होता है।

इससे पहले एसीबी ने रिश्वत लेकर पेट्रोल पंप की एनओसी देने के मामले में बारां के तत्कालीन जिला कलेक्टर इंद्रसिंह राव, हाईवे निर्माण कंपनी के प्रतिनिधियों से रिश्वत लेने के मामले में दौसा के पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। लेकिन राज्य सरकार ने इनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं दी तो इन्हे जमानत मिल गई।

इसी तरह जयपुर सिटी बस ट्रांसपोर्ट कॉरर्पोरेशन के एमडी विरेंद्र वर्मा को रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया गया था। राजस्व मंडल में भ्रष्टाचार के मामले में दो आरएएस अधिकारियों सुनील शर्मा और बी.एल.मेहरड़ा को गिरफ्तार किया गया। चेयरमैन और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वेंकटेश्वरन पर भी मिलीभगत के आरोप लगे थे। इसके अतिरिक्त पुष्कर मित्तल, पिंकी और सुनील झिंगोदिया आदि आरएएस अधिकारियों को अलग-अलग मामलों में रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है। 


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