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दस साल बाद फिर अशोक गहलोत का मास्टर स्ट्रोक, कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में मजबूत होंगे गहलोत

दस साल बाद एक बार फिर अशोक गहलोत की जादूगरी देखने को मिली। बसपा विधायक दल का कांग्रेस में विलय करने के बाद गहलोत ने कहा कि मैं म्यूजिशियन तो हूं ही।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 03:34 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 03:34 PM (IST)
दस साल बाद फिर अशोक गहलोत का मास्टर स्ट्रोक, कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में मजबूत होंगे गहलोत
दस साल बाद फिर अशोक गहलोत का मास्टर स्ट्रोक, कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में मजबूत होंगे गहलोत

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। दस साल बाद एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी देखने को मिली। बसपा विधायक दल का कांग्रेस में विलय करने के बाद गहलोत ने मंगलवार को कहा कि मैं "म्यूजिशियन" तो हूं ही। सीएम के रूप में अपने पिछले कार्यकाल में गहलोत ने साल,2009 में बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करते हुए पूरे बसपा विधायक दल का पार्टी में विलय करा लिया था।

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सोमवार देर रात एक बार फिर गहलोत ने यही जादू दिखाया और बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर लिया। यह भी एक संयोग रहा कि साल,2008 में भी बसपा के 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हुए थे और अब 2019 में भी बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हुए है। बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में गहलोत मजबूत होंगे। उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के साथ चल रहे शह और मात के खेल में अब गहलोत भारी हो गए है। अब तक 101 सदस्यीय कांग्रेस विधायक दल में पायलट समर्थक विधायकों की संख्या अधिक थी।

गहलोत कांग्रेस आलाकमान के विश्वास के चलते सीएम बन गए थे। अपने समर्थक विधायकों की अधिक संख्या के कारण पायलट समय-समय पर गहलोत के सामने संकट खड़े करते रहते थे,लेकिन बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने से गहलोत कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में मजबूत होंगे। पायलट के साथ चल रही खींचतान के चलते गहलोत सरकार में अपनी मर्जी से फैसले नहीं कर पा रहे थे,प्रत्येक मामले को लेकर आलाकमान के पास पहुंचना पड़ता था।

उपचुनाव और निकाय चुनाव में होगी परीक्षा

बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में आने का फायदा पार्टी को मिलेगा। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक नागौर जिले की खींवसर और झुंझुनूं जिले की मंडावा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के साथ ही 52 शहरी निकायों के चुनावों में कांग्रेस को विलय से कुछ फायदा जरूर होगा। हालांकि बसपा के कमिटेड वोट बैंक को ये विधायक कांग्रेस की तरफ कितना मोड़ पाएंगे इसकी परीक्षा दो विधानसभा उपचुनावों और निकाय चुनावों में हो जाएगी । लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अलवर और भरतपुर दो सीटों पर बसपा के कारण नुकसान हुआ था,लेकिन अब स्थानीय निकाय एवं पंचायत चुनाव में इस नुकसान की काफी हद तक भरपाई की कांग्रेस को उम्मीद है।

किसी को भनक तक नहीं लगी

बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने की योजना पूरी तरह गहलोत ने गोपनीय रखी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट एवं प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे को भी सोमवार रात 10 बजे इस बारे में सूचना दी गई। गहलोत ने रात 10 बजे विधायकों को अपने सरकारी आवास पर बुलाया और फिर एक घंटे तक लंबी बातचीत के बाद 11 बजे बाद उन्हे उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ.सुभाष गर्ग के साथ बाहर भेजा।

गर्ग की मौजूदगी में आनन-फानन में कुछ मीडियाकर्मियों को बुलाकर बसपा विधायकों ने पूरे विधायक दल के कांग्रेस में विलय करने की घोषणा की। इसके बाद सभी विधायक विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी से मिलने उनके आवास पर गए और विलय को लेकर उन्हे पत्र सौंपा। 


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