Rajasthan Political Crisis: सियासी संघर्ष के बीच अशोक गहलोत बना रहे बहुमत साबित करने की रणनीति
Rajasthan Political Crisis राजस्थान में सियासी संघर्ष के बीच सीएम अशोक गहलोत का मानना है कि वर्तमान राजनीतिक हालात में विधानसभा सत्र बुलाना सही रहेगा।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में पिछले 13 दिन से जारी सियासी संघर्ष हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। स्पीकर डॉ. सीपी जोशी के बाद सचिन पायलट के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से सीएम अशोक गहलोत आगे की रणनीति बनाने में जुटे हैं। गहलोत ने बुधवार को मंत्रियों, वरिष्ठ वकीलों व संविधान विशेषज्ञों के साथ चर्चा की। हाईकोर्ट में मामला 24 जुलाई तक अटकने के बाद अब गहलोत और उनके विश्वस्त विधानसभा सत्र बुलाने की तैयारी कर रहे हैं। गहलोत का मानना है कि वर्तमान राजनीतिक हालात में विधानसभा सत्र बुलाना सही रहेगा। इस सत्र में बहुमत सिद्ध करने से सभी तरह की अटकलों पर विराम लग जाएगा। गहलोत चाहते हैं कि आगामी दिनों में विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया जाए।
संभवत: कोरोना महामारी को लेकर एक दिन का सत्र बुलाने पर विचार किया जा रहा है। इस एक दिन के सत्र के लिए विधायकों को व्हिप जारी कर दिया जाए। व्हिप जारी होने के बाद विधानसभा की सदस्यता बचाने के लिए पायलट सहित उनके 19 समर्थको को सदन में आना होगा। सत्र में विधेयक पारित होते समय यदि खिलाफ मतदान करते हैं तो पायलट खेमे के विधायकों की विधानसभा से सदस्यता समाप्त हो जाएगी। इसके साथ ही अगर सरकार विधेयक पारित कराने में सफल रहती है तो यह माना जाएगा कि सरकार की जीत हो गई। कांग्रेस के एक राष्ट्रीय सचिव ने बताया कि बागी विधायकों को वापसी के लिए पार्टी एक रास्ता देने के पक्ष में है। इसके तहत विधानसभा सत्र के दौरान उन्हें विश्वास मत के दौरान मतदान नहीं करना पड़े।
इसके बजाय एक विधेयक सदन में पेश किया जाए,जिसका बागी विधायक समर्थन करें। इससे कई विधायक सरकार से सीधे टकराव से भी बच जाएंगें और उनकी घर वापसी भी हो सकेगी। गहलोत खेमा बुधवार को दिनभर यह विचार-विमर्श करता रहा कि वे यदि विधानसभा सत्र बुलाते हैं तो राज्यपाल की क्या भूमिका रहेगी। गहलोत खेमे को इस बात की आशंका है कि कोरोना के कारण राज्यपाल फिलहाल सत्र नहीं बुलाने की सलाह दे सकते हैं या फिर कोई भी व्यक्ति इस मुद्दे पर कोर्ट जा सकता है कि कोरोना महामारी के कारण देश के किसी भी राज्य में विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया जा रहा है। ऐसे में राजस्थान बुलाने की क्या जल्दी है।