जोधपुर, संवाद सूत्र। भारतीय सेना की दक्षिणी कमान की ओर से राजस्थान और गुजरात की सटी सीमाओं में सैन्य अभ्यास जारी है। दक्षिण शक्ति के नाम से हो रहे सेना के इस युद्ध अभ्यास का उद्देश्य एक एकीकृत और भविष्य के युद्धक्षेत्र परिदृश्य में दक्षिणी सेना के सैनिकों की युद्ध की तैयारी और परिचालन को और अधिक प्रभावशील बनाना है। गुजरात के कच्छ के रण से लेकर राजस्थान के थार के मरुस्थल में भारतीय सेना के जवान अपनी क्षमता को परख रहे हैं, ताकि युद्ध के समय दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके। राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर जैसलमेर के अंतरराष्ट्रीय बeर्डर से सटी सीमाओं के समीप पोकरण फायरिंग रेंज और गुजरात के कच्छ के सुदूर इलाकों में बड़ा युद्धाभ्यास किया जा रहा है। टैंक और तोपों के अलावा इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त आधुनिक हथियार और तकनीक का बेहतरीन प्रयोग किया जा रहा है। इसमें पारंपरिक सैन्य रणनीति के अलावा, अभ्यास का उद्देश्य वायु, अंतरिक्ष, साइबर, इलेक्ट्रानिक और सूचना युद्ध सहित सभी क्षेत्रों में युद्ध लड़ने की नई अवधारणाओं का नव परीक्षण करना है।

अभ्यास का मुख्य फोकस उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (हथियार प्रणाली एकीकृत), ध्रुव, झुंड ड्रोन जैसी नई और स्वदेशी तकनीक के ड्रोन द्वारा खुफिया निगरानी, इलाकों की टोह लेना, रेकी करने के अलावा आट्रिफिसियल इंटेलीजेंस को शामिल करने पर होगा। इसमें जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन भी शामिल है, जो जरूरत के अनुसार आर्मी को एयर सपोर्ट देकर युद्धकालीन परिस्थितियों में अभ्यास कर रहा है। यह युुद्धअभ्यास इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड की सोच पर आधारित है, जिसमें ट्राई सर्विस इंटीग्रेटेड आपरेशंस पर प्रमुख जोर दिया जा रहा हैं। यंत्रीकृत यूद्धाभ्यास के अलावा निगरानी और हवाई नेटवर्क पर आधारित निगरानी और हवाई मारक क्षमता को नियोजित कर एक मजबूत नेटवर्क स्थापित करना इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य रहेगा। जिससे कि इंटेलिजेंस सर्विलांस और रैकी के लिए स्वदेशी तकनीक की नई पीढ़ी के उपकरणों से दुश्मन के क्षेत्र और उसकी वास्तविक स्थिति के बारे में सटीक जानकारी मिल सके।