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Rajasthan Assembly: मुश्किल से पारित हुआ विनियोग विधेयक, संवैधानिक संकट में फंस सकती थी सरकार

Rajasthan Assembly विनियोग विधेयक पर चर्चा के बाद जब इसे पारित करने का मौका आया तो सभापति राजेन्द्र पारीक ने ध्वनि मत कराया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 02:45 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 02:45 PM (IST)
Rajasthan Assembly: मुश्किल से पारित हुआ विनियोग विधेयक, संवैधानिक संकट में फंस सकती थी सरकार
Rajasthan Assembly: मुश्किल से पारित हुआ विनियोग विधेयक, संवैधानिक संकट में फंस सकती थी सरकार

जयपुर, जेएनएन। Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में बुधवार को कांग्रेस सरकार एक बड़े संवैधानिक संकट में फंसती दिखी। विधानसभा में पेश किया गया विनियोग विधेयक मुश्किल से पारित हो पाया। विधेयक पारित करते समय सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या कम थी और सभापति ने जब ध्वनि मत से विधेयक पारित कराने का प्रयास किया तो हर बार विपक्ष के सदस्यों की आवाज भारी रही।

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विधानसभा में विनियोग विधेयक रखा गया था और इस पर चर्चा भी हुई। विनियोग विधियेक वित्त संबंधी विधेयक होता है और इस पारित करते समय सत्ता पक्ष के सदस्य विपक्ष के मुकाबले कम हो तो सरकार पर संवैधानिक संकट आ सकता है। विधानसभा में यही स्थिति देखने को मिली। विनियोग विधेयक पर चर्चा के बाद जब इसे पारित करने का मौका आया तो सभापति राजेन्द्र पारीक ने ध्वनि मत कराया। इस समय सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या कम थी। ऐसे में ध्वनि मत में सत्ता पक्ष की आवाज कम रही। प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड ने कहा कि यह वित्त सम्बन्धी विधेयक है और सत्ता पक्ष गायब है। हम इस पर मत विभाजन चाहते है। इस दौरान सत्ता पक्ष के सदस्य और सरकार के मंत्री हड़बड़ी में सदन में आते नजर आए।

प्रतिपक्ष ने मांग की कि सदन के दरवाजे बंद किए जाएं और मत विभाजन कराया जाए। सभापति को पांच छह बार ध्वनि मत कराना पड़ा। इस दौरान विपक्ष के सदस्यों ने मत विभाजन की मांग पर अड़े रहे। सभापति ने हालांकि मांग स्वीकार नहीं की और ध्वनि मत से ही इसे पारित करा दिया। बाद में अपनी मांग को लेकर प्रतिपक्ष के सदस्य वैल में भी आए और नारेबाजी की तथा बाद में सदन से वाॅकआउट कर गए।

सरकार नहीं करा पाएगी विकास के काम

विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड ने कहा कि सरकार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि इसे अपने वेतन और अन्य खर्च पूरे करने के लिए भी ओवरड्राफट लेना पड़ेगा। ऐसे में सरकार विकास के काम नहीं करा पाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने हमारी सरकार पर बहुत ज्यादा कर्ज लेने का आरोप लगाया था, लेकिन खुद सरकार पहले वर्ष में 30 हजार करोड का कर्ज ले चुकी है। उन्होंने सरकार पर गिरल लिग्नाइट बिजली घर बेचने का आरोप भी लगाया।

सरकारी विभागों में समन्वय नहीं है

वहीं निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने कहा कि भाजपा की सरकार ने प्रदेश को राजस्व घाटे मे धकेल दिया। भाजपा की सरकार के दौरान सरकारी अस्पतालों और स्कूलों को निजी हाथों में देने की कोशिश की गई। उन्होंने सरकार पर भी प्रहार किए और कहा कि सरकार के विभागों में समन्वय नहीं है। देवस्थान, नगरीय विकास, शिक्षा विभाग सहित विभिन्न विभागों की अरबों रूपए की जमीन अनुपयोगी पड़ी है। इस पर अतिक्रमण हो गए है। भूमि आवंटन में शर्तों का पालन नहीं किया जाता, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान हीं नहीे देती।

काॅलेज के लिए दी गई जमीन पर काॅम्प्लेक्स बन जाते है। करोड़े की जमीनें निजी यूनिवर्सिटियों को रियायती दरों पर दी, लेकिन उन पर दुकानें बन गईं। इनसे जुर्माना वसूल किया जाना चाहिए। सरकारी विभागों को पता ही नहीं है कि उनके पास कितनी जमीन है। सरकार इन अतिक्रमणों को हटा भी नहीं सकती। ऐसे में सरकार इनसे जुर्माना वसूल कर इन्हें नियमित करे ओर अनुपयोगी जमीन का सर्वे करवा कर इसका सही उपयोग करे तो सरकार की अच्छी आय हो सकती है और मौजूदा स्थिति से उबरा जा सकता है।

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