अजमेर के विधायक वासुदेव ने मुख्यमंत्री गहलोत को लिखा पत्र, स्कूली विद्यार्थियों और पेंशनर्स की उठाई मांग
पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री एवं विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर स्कूली विद्यार्थियों और पेंशनर्स की उठाई मांग
अजमेर, जेएनएन। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री एवं विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर प्रदेश में स्कूल शिक्षा के कक्षा 1 से 8 तथा कक्षा 9 व 11 के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा के अगली कक्षाओं में प्रमोट किये जाने का आग्रह किया है।
देवनानी ने मुख्यमंत्री व शिक्षा राज्य मंत्री को इस सम्बंध में लिखे गये पत्र में यह उल्लेख किया है कि राजस्थान बोर्ड से सम्बद्धित विद्यालयों में कक्षा 1 से 7 तथा कक्षा 9 व 11 की वार्षिक परिक्षाओं का आयोजन अभी तक प्रारम्भ नहीं हो सका है जबकि कक्षा 8 व 10 एवं 12 के कई विषयों के पेपर स्थगित कर दिये गये। वर्तमान में कारोना वायरस से उत्पन्न महामारी के समय लोगों को अपने स्वास्थ्य की चिन्ता के साथ ही लाॅकडाउन के दौरान विभिन्न अन्य परेशानियां भी उठानी पड़ रही है। एसे माहौल में विद्यार्थीयों व उनके परिजनों के मन में परिक्षाओं के आयोजन व परीक्षा परिणाम को लेकर भी सवाल उत्पन्न हो रहे है जो कि उनके मानसिक तनाव को बढ़ाने का काम कर रहे है। देवनानी ने मुख्यमंत्री गहलोत से यह आग्रह किया कि विद्यार्थियों व उनके परिजनों की मनोस्थिति पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की भांति प्रदेश में भी स्कूल शिक्षा की कक्षा 1 से 8 तथा कक्षा 9 व 11 के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा दिये अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाए।
पेंशनर्स के जीवित होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में छूट दी जाए- देवनानी
विधायक वासुदेव देवनानी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर प्रदेश के पेंशनर्स से अप्रेल माह में लिये जाने वाले उनके जीवित होने के प्रमाण पत्र में छूट दिये जाने की मांग की है।
देवनानी ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि राज्य सेवा के सेवानिवृत्त कार्मिकों को प्रतिमाह दी जाने वाली पेंशन के क्रम में प्रति वर्ष अप्रेल माह में उनके जीवित होने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होता है परन्तु वर्तमान में कोरोना वायरस से उत्पन्न महा-आपदा के समय प्रदेश में लाॅकडाउन तथा कई स्थानों पर कफ्र्यू लागू है। एसी स्थिति में पेंशनर्स को घर से बाहर जाकर उक्त प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने में कठिनाई होगी तथा इसके अभाव में यदि उनकी पेंशन रोक दी जाती है तो उनके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाएगा जबकि राज्य मंे बड़ी संख्या में ऐसे सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी है जिनका जीवनयापन पेंशन राशि पर ही निर्भर है। देवनानी ने मुख्यमंत्री से यह आग्रह किया है कि वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए पेंशनर्स को ‘‘जीवित होने का प्रमाण-पत्र‘‘ प्रस्तुत करने के लिए हालात सामान्य होने तक की अवधि के लिए छूट प्रदान की जाए।