Rajasthan: मानसून बीतने के बाद सरकार को याद आई राजीव गांधी जल संचय योजना
Rajasthan government. स्थिति यह है कि मानसून बीतने के बाद के अब सरकार को अपनी राजीव गांधी जल संचयन योजना की याद आई।
जयपुर, मनीष गोधा। Rajasthan government. सरकार बदलते ही पिछली सरकार की योजनाओं को बदलने या बंद करने की प्रवृत्ति के चलते इस बार जल संरक्षण के मामले में राजस्थान का बड़ा नुकसान हुआ है। वर्षा जल संरक्षण के लिए पिछली सरकार के समय से चल रही मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना ठप पड़ी रही और इसके स्थान पर शुरू की जाने वाली राजीव गांधी जल संचयन योजना पर काम ही शुरू नीं हुआ। इसके चलते शानदार मानसून का पूरा फायदा नहीं मिल पाया। स्थिति यह है कि मानसून बीतने के बाद के अब सरकार को अपनी राजीव गांधी जल संचयन योजना की याद आई और इसकी राज्य स्तरीय समिति की पहली बैठक दो दिन पहले हुई है।
राजस्थान में भाजपा सरकार के समय हर गांव मे बारिश का पानी सहेजने के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत गांव के प्राचीन जल स्रोतों को ठीक करने और जरूरत के हिसाब से नए जल स्रोत बनाने का काम किया जा रहा था। यह योजना 2015 से चल रही थी और इसके काफी अच्छे परिणाम सामने आए थे। योजना के तहत 23 हजार 710 गांवों में छह लाख से ज्यादा काम कराए गए थे। पिछले वर्ष चुनाव से पहले 7766 कामों की डीपीआर तैयार हो गई थी और इनमे से 77 कामों के लिए वित्तीय स्वीकृति भी जारी हो गई थी, लेकिन फिर चुनाव हुए और सरकार बदलते ही मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
जयपुर के सिंचाई भवन में चल रहा है इसका कार्यालय और नियंत्रण लगभग बंद हो गया। स्वीकृत कार्यों पर भी आगे कुछ नहीं हुआ। जबकि इस योजना के चलते राजस्थान में न सिर्फ भूजल स्तर बढ़ा था, बल्कि गर्मी के मौसम में टैंकरों से पेयजल पहुंचाने की जरूरत भी आधी रह गई थी। यह योजना जल संसाधन के विशेषज्ञ श्रीराम वेदिरे के देखरेख में चल रही थी। सरकार बदलने के बाद वे भी राजस्थान से चले गए।
नई सरकार लाई नई योजना
नई सरकार ने इस वर्ष जून में अपने बजट में राज्य में वर्षा जल संचयन के लिए राजीव गांधी जल संचय योजना लागू करने की घोषणा की। यह योजना मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के स्थान पर लागू की जानी थी। इसके लिए एक राज्यस्तरीय समिति भी बनी, लेकिन इस योजना पर मानसून से पहले काम शुरू नहीं हुआ। बल्कि योजना के लिए बनी राज्यस्तरीय समिति की पहली बैठक ही अभी दो दिन पहले सचिवालय में हुई है। मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की अध्यक्षता मे हुई इस बैठक में तय किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए ग्रामीणों एंव जन प्रतिनिधियों से सहयोग लिया जाएगा और आम जन में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर जिले में जल संरक्षण के प्रति सजग, समर्पित, अनुभवी एवं तकनीकी विशेषज्ञों का मनोनयन किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों के अधिकारियों से कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे स्थानों का चयन करें जहां अभी तक जल सरंक्षण ढांचों का निर्माण नहीं हुआ है। इसके साथ ही ऐसे गांवों की विस्तृत कार्ययोजना 17 दिसम्बर तक तैयार कर प्रस्तुत करें। बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा घोषित नवीन योजना ‘‘ राष्ट्रीय जल संरक्षण योजना‘‘ के संबंध में वांछित प्रस्ताव तैयार कर शीघ्र भारत सरकार को भिजवाने के निर्देश भी दिए गए और कई कार्यक्रमों का अनुमोदन भी किया गया।
इस बार हुई थी रिकाॅर्ड बारिश
राजस्थान में इस बार कई वर्ष बाद रिकाॅर्ड बारिश हुई थी। मानसून तय समय के मुकाबले कुछ देर से आया था लेकिन जमक र बरसा। राजस्थान में औसतन 545 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार 774.38 मिमी बारिश हुई थी। आमतौर पर 15 सितंबर तक मानसून की विदाई हो जाती है, लेकिन इस बार अक्टूबर के पहले सप्ताह तक बारिश का दौर जारी था। राजस्थान के तालाबों और बांधों में भी खूब पानी आया और 810 में से 388 बांध तो पूरे भर गए। जयपुर के बीसलपुर बांध से तो करीब बीस दिन तक लगातार पानी छोडा जा रहा था। ऐसे में यदि पुरानी योजना पर काम चलता रहता या नई योजना समय से शुरू कर दी जाती तो राजस्थान के गांवों में इस बार अच्छी मात्रा में पानी एकत्र किया जा सकता था।