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आदिवासी महिला ने खोला अनोखा बैंक, यहां नि:शुल्क मिलते हैं सैनिटरी पैड्स

अनोखे बैंक, इस बैंक में आदिवासी महिलाओं और युवतियों को माहवारी में काम आने वाले सैनिटरी पैड्स नि:शुल्क मिलेंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 12:21 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 12:21 PM (IST)
आदिवासी महिला ने खोला अनोखा बैंक, यहां नि:शुल्क मिलते हैं सैनिटरी पैड्स
आदिवासी महिला ने खोला अनोखा बैंक, यहां नि:शुल्क मिलते हैं सैनिटरी पैड्स

उदयपुर, सुभाष शर्मा। अभी तक आपने दुनियाभर में चलने वाले कई तरह के बैंक देखे और सुने होंगे, जहां रुपए-पैसे जमा कराए और निकाले जाते हैं। कहीं बुक्स, बीज और रक्त आदि मिलते हैं। किन्तु उदयपुर की एक आदिवासी निरक्षर महिला ने एक अनोखे बैंक की कल्पना ही नहीं की, बल्कि इसकी शुरुआत भी कर दी। यह अनोखा बैंक है पैड बैंक, जो सिर्फ और सिर्फ महिलाओं के लिए ही है। इस बैंक में आदिवासी महिलाओं और युवतियों को माहवारी में काम आने वाले सैनिटरी पैड्स नि:शुल्क मिलेंगे।

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जिस काम को उच्च शिक्षित और बड़े-बड़े धन्ना सेठ नहीं कर पाए। वह काम उदयपुर जिले की निचली गवाड़ी गांव की आदिवासी महिला कृष्णा ने शुरू किया जो अशिक्षित है, किन्तु महिलाओं की समस्या से पूरी तरह वाकिफ है। उसने इस काम में अपनी सहयोगी आदिवासी महिलाओं को जोड़ा और बाद में आदिवासी सेवा संस्थान भी उनके काम में आगे आया। निचली गवाड़ी के राजकीय प्राथमिक स्कूल से ही उन्होंने इस बैंक की शुरूआत की। जहां की शिक्षिकाओं ने भी उन्हें पूरा सहयोग देने का वादा किया है।

कृष्णा और उसके सहयोगी स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर जागरूकता अभियान चलाए हुए हैं और उनके गठित बैंक से आदिवासी महिलाओं को जोड़ा है ताकि वह वहां से नि:शुल्क पैड ले सकें। जबकि आदिवासी विकास संस्थान ने उनके काम को आगे बढ़ाते हुए आदिवासी महिलाओं को सैनिटरी पैड्स बनाना सिखाने का जिम्मा भी लिया है जिसे वह बनाकर उनको आय भी होगी।

पैड बैंक की मुखिया कृष्णा का कहना है कि वह आदिवासी महिला होने के नाते आदिवासी युवतियों और महिलाओं की माहवारी में होने वाली समस्याओं से बखूबी परिचित हैं और उन्हें इसी बात की टीस रहती थी। जिसको लेकर वह काम करना चाहती थी। परिजनों ने उसे सहयोग दिया और आज अन्य लोग भी उसकी मदद को आगे आ रहे हैं।

आदिवासी सेवा संस्थान के हेमंत जोशी कहते हैं कि जब उन्हें इस बात का पता चला कि जब एक निरक्षर आदिवासी महिला ऐसी सोच रखती है तो उनके संस्थान ने इस काम को आगे बढ़ाने का जिम्मा लिया। उन्होंने सोशल डवलपमेंट संस्थान और नाइटेंगल केयर नाथद्वारा के सहयोग से इसकी नींव रखी। अब पैड बैंक से आदिवासी महिलाओं को नि:शुल्क पैड़ मिलना सुलभ हो चुका है।

धीरे-धीरे इसकी शाखाएं जिले भर के आदिवासी इलाकों में खोली जाएंगी। इस काम में कृष्णा और उनकी टीम समर्पित भाव से काम कर रही हैं। इधर, प्राथमिक स्कूल निचली गवाड़ी की शिक्षिका सोनिया जोशी और हीरा देवी ने आदिवासी महिलाओं और बालिकाओं को जागरूक करने का जिम्मा उठाया है।


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