जयपुर बम ब्लास्ट मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता को हटाया गया, जिम्मेदार अधिकारियों खिलाफ होगी कार्रवाई
जयपुर बम ब्लास्ट मामले के चार आरोपितों की फांसी की सजा उच्च न्यायालय द्वारा पलट कर बर बरी करने का मामला गरमाता जा रहा है। विपक्ष के साथ ही हिंदू और सामाजिक संगठन इस मामले में अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। जयपुर बम ब्लास्ट मामले के चार आरोपितों की फांसी की सजा उच्च न्यायालय द्वारा पलट कर बर बरी करने का मामला गरमाता जा रहा है। विपक्ष के साथ ही हिंदू और सामाजिक संगठन इस मामले में अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इस बीच सरकार ने उच्च न्यायालय में सही तरह से पैरवी नहीं करने पर अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेंद्र यादव को हटा दिया है।
उन्हे अब न्यायालय में सरकारी मामलों को देखने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री गहलोत ने पुलिस और विधि विभाग के अधिकारियों को बरी हुए आरोपितों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने मुख्य सचिव उषा शर्मा, गृह सचिव आनंद कुमार, पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा व विधि सचिव ज्ञान प्रकाश गुप्ता सहित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर न्यायालय में कमजोर पैरवी पर नाराजगी जताई है।
सीएम ने आरोपितों के विरूद्ध पुख्ता सबूत नहीं जुटाने वाले आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के अधिकारियों के नाम मांगे हैं। साथ ही जो पुलिस अधिकारी सेवानिवृत हो गए, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है। इस बारे में रिपोर्ट तैयार करने के लिए भी सीएम ने कहा है।
भाजपा ने धरना दिया
सरकार पर कमजोर पैरवी का आरोप लगाते हुए भाजपा ने शनिवार को जयपुर में धरना दिया। प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी के नेतृत्व में दिए गए धरने में भाजपा के वरिष्ठ नेता शामिल हुए। जोशी ने कहा कि गहलोत अपनी कुर्सी बचाने के लिए महंगे वकील बुलाते हैं, लेकिन जयपुर के पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात आई तो महाधिवक्ता को भी पैरवी करने नहीं भेजा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि किसी के इशारे पर कमजोर पैरवी की गई, यह बताना चाहिए।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत नेट्वीट कर कहा कि अतिरिक्त महाधिवक्ता की सेवाएं समाप्त करने से क्या होगा। उन्होंने कहा कि सरकार, प्रशासन और मंत्री सभी आपके हैं, तो फिर जवाबदेही भी आपकी बनती है। भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि बम ब्लास्ट मामले में चार आरोपितों का फांसी की सजा से बरी होने का दोष सीएम को केवल अतिरिक्त महाधिवक्ता में ही दिखाई दिया है, जबकि कार्रवाई महाधिवक्ता, गृह विभाग के सचिव और अभियोजन विभाग के निदेशक के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी।
बता दें कि 13 मई, 2008 को दिल्ली जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 71 लोगों की मौत होने के साथ ही 185 लोग घायल हुए थे। बम ब्लास्ट मामले में सैर्फुरहमान, मोहम्मद सलमान, सरवर आजमी और सैफ को जयपुर जिला विशेष न्यायालय ने 20 दिसंबर,2019 को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ चारों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। उच्च न्यायालय ने तीन दिन पहले फांसी की सजा पलटते हुए चारों को पुख्ता सबूत नहीं होने पर बरी कर दिया था।