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राजस्थान के नेता गुलाबचंद कटारिया को धमकी देने के आरोपित को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत

राजस्थान के गुलाब चंद कटारिया द्वारा आवेश में एक भाषण दिया गया था जिसके संबंध में उन्होंने सोशल मीडिया के मार्फत सर्व समाज से क्षमा प्रार्थना भी की थी। फोन मैसेज व सोशल मीडिया के मार्फत कुछ लोगों ने जान से मारने तक की धमकियां दी व अपशब्द भी कहे।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 12:55 PM (IST)
राजस्थान के नेता गुलाबचंद कटारिया को धमकी देने के आरोपित को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया

उदयपुर, संवाद सूत्र। महाराणा प्रताप के संदर्भ में उदाहरण देते हुए विवादित शब्दों के प्रयोग के बाद माफी मांगने के बावजूद राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकियों के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने आरोपित को राहत देने से इनकार कर दिया है।

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कटारिया के अधिवक्ता अभिषेक पारीक ने बताया कि प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया द्वारा आवेश में एक भाषण दिया गया था, जिसके संबंध में उन्होंने सोशल मीडिया के मार्फत सर्व समाज से क्षमा प्रार्थना भी की थी। इसके पश्चात उन्हें फोन मैसेज व सोशल मीडिया के मार्फत कुछ लोगों ने जान से मारने तक की धमकियां दी व अपशब्द भी कहे। कटारिया ने कानूनी कार्यवाही के लिए उदयपुर पुलिस महानिरीक्षक को 21 अप्रैल को पत्र के जरिए सूचित किया था और सुखेर थाना पुलिस ने जांच शुरू की। प्रथम सूचना रिपोर्ट पर दौराने जांच विक्रम सिंह राणावत एवं लक्ष्मण सिंह झाला को नोटिस अंतर्गत धारा 160 दंड प्रक्रिया संहिता का प्रेषित कर अनुसंधान के क्रम में 28 अप्रेल को उपस्थित होने को कहा।

इस पर लक्ष्मण सिंह झाला ने राजस्थान उच्च न्यायालय मुख्य पीठ जोधपुर में प्रथम सूचना रिपोर्ट को रद्द एवं खारिज करने के संबंध में आपराधिक विविध याचिका लगाई गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 500 एवं 506 एक गैर संज्ञेय अपराध है और धारा 66 सूचना तकनीक अधिनियम मात्र संज्ञेय अपराध बनाने के इरादे से जोड़ी गई है। इसका कटारिया के अधिवक्ता अभिषेक पारीक ने खंडन करते हुए जान से मारने एवं धमकी भरे ऑडियो एवं वीडियो न्यायालय में प्रस्तुत किए गए।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने यह भी कहा कि पुलिस अधिकारी लक्ष्मण सिंह झाला को परेशान कर रहे हैं, अतः गिरफ्तार नहीं करने संबंधित अंतरिम आदेश फरमाया जाए। जिसकी सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपित झाला कोई अंतरिम राहत नहीं दी गई। न्यायालय ने मामले से संबंधित केस डायरी तलब की है। अधिवक्ता पारीक ने बताया कि झाला पर पूर्व में भी विभिन्न थानों में सात आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।  


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