Rajasthan: चित्तौड़गढ़ में पकड़े गए 18 राज्यों में आठ हजार फर्जी लाइसेंस जारी करने वाले
Rajasthan चित्तौड़गढ़ के पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों में देवेंद्र उर्फ देवराज तथा उसके लिए एजेंट के रूप में काम करने वाला ऋषि अग्रवाल शामिल है। दोनों को मंगलवाड़ से पकड़ा गया है।
उदयपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिला पुलिस ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो फर्जी लाइसेंस, वाहनों की आरसी तथा टोल पर्ची बनाकर लोगों से ठगी करते थे। पकड़े जाने से पहले वह अठारह राज्यों में आठ हजार लोगों को फर्जी लाइसेंस पकड़ा चुके हैं। पुलिस ने गिरोह के दो लोगों को मंगलवाड़ से गिरफ्तार किया है। चित्तौड़गढ़ के पुलिस अधीक्षक दीपक भार्गव ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों में देवेंद्र उर्फ देवराज तथा उसके लिए एजेंट के रूप में काम करने वाला ऋषि अग्रवाल शामिल है। दोनों को मंगलवाड़ से पकड़ा गया है। फर्जी लाइसेंस, आरसी तथा टोल पर्ची की शिकायत मिलने पर पुलिस अधीक्षक ने बोगस ग्राहक के रूप में एजेंट के पास पुलिसकर्मी को भेजा था। जिसने पांच हजार रुपये में फर्जी लाइसेंस बनाकर दिया। फर्जी लाइसेंस में असल लाइसेंस की तरह चिप भी लगी रहती है, जिससे अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि वह फर्जी है। इस मामले में पुलिस स्पेशलाइज एजेंसी की मदद लेगी।
छह-सात सालों से सक्रिय थे आरोपित
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस फर्जीवाड़े में परिवहन विभाग की मिलीभगत को लेकर भी जांच की गई, लेकिन पाया गया कि इसमें परिवहन विभाग के किसी अधिकारी या कर्मचारी का हाथ सामने नहीं आया। पुलिस पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह पिछले छह-सात साल से इस अवैध धंधे में सक्रिय हैं। वह ऐसे ग्राहकों से संपर्क करते थे, जिन्हें लाइसेंस, आरसी तथा टोल पर्ची की जरूरत होती थी। पांच हजार रुपये लेकर वह ग्राहक का काम कर देते थे। उन्होंने अपना अवैध कारोबार देश के विभिन्न अठारह राज्यों में फैला रखा है और अब तक आठ हजार फर्जी लाइसेंस बना चुके हैं। आरोपितों के पास डिजिटल सिग्नेचर भी मौजूद हैं, जिसके जरिए वह फर्जी लाइसेंस, आरसी और टोल की पर्ची बनाते थे। बताया गया कि यह सारे काम मुख्य आरोपित अपने घर से करता था।
ट्रक चालकों के फायदे के लिए फर्जी टोल पर्ची बनाकर देते थे
आरोपितों ने बताया कि ट्रक चालकों के फायदे के लिए वह फर्जी टोल राशि की पर्ची बनाकर देते थे। ट्रक मालिक या उनकी एजेंसी को हर टोल पर वसूले जाने वाली राशि को लेकर जानकारी नहीं होती और वह वहां से फर्जी टोल पर्ची के आधार पर पैसा ले लेते थे। आरोपितों से अभी पूछताछ जारी है कि उन्होंने अवैध कारोबार किन-किन राज्यों में फैला रखा था और उनके लिए और कौन-कौन व्यक्ति काम करता है।